सभी का खून शामिल नहीं है यहाँ

Krishan Deo Singh: 
**स्ट्राइकर
सभी का खून शामिल नहीं है यहाँ
की मिट्टी में।
हिंन्दुस्तान हमारा  है 
घुसौपैठिये तुम्हारे बाप का थोडी है।।
केड़ीसिंह
 
*इसी विषय पर शायर 
राहत इंदौरी ने लिखा है:


"सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में,
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है "


       राहत इंदौरी का शेर इनदिनों नागरिकता देने  (छीनने नहीं ) के क़ानून के विरोध में बहुत बोला जा रहा है ,इसका जवाब एक कवि ने यूँ दिया हैं:--


*“कुछ गद्दार ख़फ़ा होते हैं हो जाने दो,
*घर के मेहमान थोड़ी हैं
*जहाँ भर से लतियाए जा चुके हैं ,
 *इनका कोई मान थोड़ी है


*ये राम कृष्ण की धरती, स्वीकार करना ही होगा
*मेरा वतन ये मेरी माँ है,
*लूट का सामान थोड़ी है


*मैं जानता हूँ, घर में हैं,
*सैकड़ों भेदी
*पर जो सिक्कों में बिक जाए, वो मेरा ईमान थोड़ी है


*मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से
*बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है


*जो रहजन थे, उन्हें हाकिम* *बना कर,
*उम्र भर पूजा,
*मगर अब हम भी,
*सच्चाई से अनजान थोड़ी हैं ?


*बहुत लूटा फिरंगी ने कभी* *बाबर की औलादों ने
*ये मेरा घर है, मेरी ज़ान*, *मुफ्त की सराय थोड़ी है...


*बिरले मिलते है सच्चे मुसलमान दुनिया में
*हर पंचरबाज और पीएचडी, कलाम थोड़ी है ।।


*कुछ तो अपने भी शामिल है* , *वतन तोड़ने में
*अब ये कन्हैया और रविश* *मुसलमान थोड़ी है ।*


*नही शामिल तुम्हारा खून यहाँ की मिट्टी में,
*ये तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है ।।


:**स्ट्राइकर
अगर भारत के हो 
तो इतना डर कैसे?
चोरी से घुसे हो तो
ये तुम्हारा घर कैसे?
केड़ीसिंह
*दिनांक 23दिसम्बर2019