यादवों का लोकप्रिय चेहरा?

यादवों का लोकप्रिय चेहरा?
कृष्ण देव सिंह
         बिहार सहित पुरे देश में अब राजनीतिक व सामाजिक हल्कों में चर्चा होने लगी है कि यादवों का लोकप्रिय चेहरा कौन- कौन है, क्योंकि यादवों के दो प्रमुख राजनेता सर्वश्री मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव अब उम्र के ढलान पर हैं और उनके उत्तराविकारी सर्वक्षी आखिलेश यादव और तेजस्वी यादव है।ये दोनों अपने-अपने पिता के उत्तराघिकारी हैं।मध्य प्रदेश मे सहकारिता के दिग्गज स्व० सुभाष यादव के पुत्र पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव भी लोकप्रिय चेहरा है, वे प्रदे१ा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहचुके हैं। इसी क्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री द्वय शरद यादव और रामगोपाल यादव की भी गणना होती हैा कांग्रेस के रास्ट्रीय सचिव व छत्तीसगढ के प्रभारी चंदन यादव रशद जुटाकर बिहार की राजनीति में हाथपांव मार रहे हैं व अवसर की तलाश में हैं।इनमें से राजद नेता तेजस्वी यादव की अग्नि परीक्षा आसन्न बिहार विधान सभा के चुनाव में हो जावेगा।                       
         3० वर्षीय भूत पूर्व उपमुख्यमंत्री बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अभी तक कोई राजनीतिक चमत्कार नहीं दिखाया जिसकी कल्पना से बड़े राजनीतिक चाणक्य सोचने को मजबूर हो जाते हैं
लालू प्रसाद यादव ने बिहार की जनता को ऐसा क्या किया बार-बार जेल में रहने के बाद सजायाफ्ता होने पर भी जनता उन्हें ही वोट देती है 1बदली हालात में वे यादव जाति की फिल्म बनकर रह गये है क्योंकि माई समीकरण में जबरदस्त सेंघ लग चुका हैायह सत्य नहीं है सिर्फ एक जाति के वोट से बिहार ही क्यों देश में कहीं भी कोई एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकता ,लेकिन झ्स सत्य को नहीं नकारा जा सकता कि भारतीय राजनीति जाति और घर्म अब केन्द्रीय भूमिका में आ चुका हैा
नेता प्रतिपक्ष बिहार विधानसभा तेजस्वी यादव को नेता। कहने और समझने बाले  लोग हैं जिनका मानना है कि बिहार में सारे यादव नेता और सारे यादव मतदाता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के समर्थक नहीं हैं
लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का राजनीतिक रूप से विरोध करने वाले कई यादव नेता जो यादव बहुल क्षेत्रों से चुनाव जीत रहे हैं,उन्होंने  लालू का पुरजोर विरोध किया 'I ऐसे नेताओं में  सर्वश्री पप्पू यादव ,.जगदंम्बा प्रसाद यादव और रामकृपाल यादव शामिल है।
बिहार जैसे पिछड़े और सामंती मूल्यों बाले राज में पहली बार लालू प्रसाद यादव ने मनुवादियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया Iउन्होंने पहली बार चरवाहा विद्यालय की बात सोची पशु पालन करने वाले और पशु चराने वाले बच्चों को शिक्षा मिल सके गरीब बच्चों को दमकल से पाइप से नहलाने सरकारी योजना बनाई जो बुरी तरह असफल रहा। उनके 15 वर्ष के राज को जंगल राज के रूप में जाना जाता है और लालू_रावड़ी  शासनकालमें बिहार की प्रगति बहुत पीछे चली गई।इस एहसास को ना तो नापा जा सकता है और ना इसका कोई आंकड़ा होता है इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है 1
       बिहार विधानसभा में या तेजस्वी यादव की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है 243 में से 81 विधायक आदि से जीते थे और दो चुनाव में जीते कुल 83 आरजेडी के विधायक हैंउन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को रोककर तीसरे पायदान पर सिर्फ 53 सीटों पर समेटा1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान के क्रम में लाल कृष्ण आडवाणी जी पूरे देश में रथ लेकरघूम रहे थे इस रथ को रोकने का उस समय साहस केवल लालू प्रसाद यादव ने दिखाया Iलाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया व रथ लेकर अयोध्या पहुंचने का आडवाणी जी का सपना धरा रह गया|कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव ब तेजस्वी यादव के सत्ता में ना  होने से सामाजिक समूह खुद को अकेला महसूस करते हैं इसलिए हर बार लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को वोट डालता है lइसी तरह का एहसास अल्पसंख्यक वर्ग को हैलेकिन वह अपना रास्ता बदलने का संकेत विधानसभा उपचुनावों में दे चुकी है। लालू प्रसाद यादव का शासन काल बेशक बहुत असरकारक ना रहा हो लेकिन इतना असरकारक तो था किस देश में लालू की शख्सियत चर्चा होती रही
 नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव  लालू -राबडी के राजनीतिक बारिश है ।जब विपक्षी दलों को एक मंच पर बुलाया जाता है हर पार्टी अपने बड़े बड़े नेता भेजती है राहुल गांधी , ममता बनर्जी ,अखिलेश यादव तब प्रथम पंक्ति में तेजस्वी यादव को देखकर आज भी लालू का मतदाता गौरवान्वित महसूस करता हैIहलांकि 3०वर्षीय नेता प्रतिपक्ष  के समर्थक अब प्रचारित करने लगे हैं कि बिहार विधानसभा तेजस्वी यादव ने राजनीति में वह करिश्मा कर दिखाया व बिहार की सारी राजनीतिक दलोंके समीकरण बदल दिएI लेकिन बिहार विधान सभा का चुनाव उनके राजनीतिक कद का निर्धारण करेगा /
     **बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क