बंद करें  अपशब्दों का प्रयोग 

बंद करें  अपशब्दों का प्रयोग


बुघवार*स्ट्राइकर
अम्बेडकर का नाम लेकर कुछ लोग हिन्दू धर्म को गाली देते हैं और जातिवाद के विरोध के नाम पर अन्य जातियों के लिए अपशब्द प्रयोग करते हैं।
यहीं कुछ गिने चुने लोग अपने गाव के चर्मकारों को न तो अपने घर मे घुसने देते हैं और न ही उनको अपने शादी व्याह मे सबके साथ बैठ कर खाना खाने देते हैं।
यह दिन रात हिन्दू देवी देवता को गाली देते हैं लेकिन शादी, विवाह, तिलक, वरक्षा, मुन्डन, गृह प्रवेश सब ब्राह्मणों के बनाये ही विधि विधान से करते हैं।
और  जब वे मरेंगे तो इनके मरने के बाद "राम नाम सत्य है" ही कहा जायेगा।झ्स तरह के विशिष्ठ गुणघर्म वाले कुछ सज्जन अन्य पिछड़ी जातियों में भी पाये जाते है।
जो बात मर कर स्वीकार करोगे, उसे जीते जी ही स्वीकार कर लो।सोचता हूँ कि
अब इन कुछ गिने चुने मुट्ठी भर लोगों का दोहरा चरित्र और उनकी  कुछ दोहरापन पर बताता चलू।


1- छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दवी साम्राज्य की नीव डाली लेकिन ये कुछ दोहरे चरित्र वाले लोग शिवा जी महराज का फोटो लगाकर हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना का मज़ाक उडाते हैं।
2- कुछ लोग सरदार पटेल का फोटो लगाकर राम मन्दिरके विरोध मे बोलते हैं जबकी सरदार पटेल ने खूद जवाहर लाल नेहरू के विरोध मे जाकर सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।
3- कुछ लोग दिन रात अम्बेडकर का फोटो लगाते हैं लेकिन अपने घर मे चर्मकारों को घुसने तक नहीं देते हैं।
4- कुछ लोग अपने क्षेत्र मे भारी संख्या मे होने और खूब सारी जमीन - जायदाद के मालिक होने के बावजूद  दुसरे जातियों पर बेवजह का आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं। जबकी यह मज़दूर जातियों के शोषण मे खूद सबसे आगे हैं।
5- कुछ लोग अपने अपने क्षेत्र मे चौक चौराहों पर सरदार पटेल का मूर्ती लगाना पसंद करते हैं लेकिन यदि भाजपा सरकार ने सरदार पटेल का दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ती बनवा दिया तो इन  पिल्लों के मूह से एक शब्द नहीं फूटता बल्कि उल्टा गाली देते हैं।
6- ये  दोहरेचरित्र वाले खूद जातिवाद मिटाने का दावा तो करते हैं लेकिन अपनी लडकी की शादी जाति तो छोड़ ही दिजिये उपजाति और क्षेत्र देख कर करते हैं।
7- कुछ लोग मनुवाद / ब्राह्मणवाद का एक तरफ विरोध करते हैं और दूसरी तरफ पण्डितों  के जूते चाटते हैं।
8- ये  पिल्ले ओबीसी ओबीसी का माला जपते हैं लेकिन इन्हे ओबीसी मंत्री/ मुख्यमंत्री/ प्रधानमंत्री पसंद नही रहता है। न ही उनके लिये एक शब्द फूटता है जिसने ओबीसी को संवैधानिक मान्यता दी।
       मेरा समस्त कुर्मी समाज सहित अन्य पिछडे वर्ग के सभी प्रबुद्धजनों से विशेष आग्रह है की आप लोग जल्द से जल्द इन कुछ मुट्ठी भर दोहरेचरित्र वालों का विरोध व समक्षाने का कार्य करें वह भी खुलकर करना शुरु करिये। वरना राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिसे. कुर्मियोँ का वहीं हाल हो सकता है. जो आज यादवों का हो गया है।
कुछ यादवों ने उन्हें  सहलाया और तौला था लेकिन आज पुरा यादव समाज बदनाम हो गया। क्योंकि वह विरोध के बजाय चुप रह गया था।
इसलिये आप ऐसी गलती मत करें।
आपका
कृब्ण देव सिंह(के. ड़ी सिंह)