सुनो तेजस्वी,इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा।

सुनो तेजस्वी,इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा।
                         ---- मसीह उद्दीन
धर्मनिरपेक्षता के नवोदित ठेकेदार तेजस्वी यादव सुनो!कम्यूनिस्ट कंहैया को हराने के लिए सारी हदों को लांघ कर तथा छल प्रपंच और सभी तरह की साजिशों का सहारा लेकर तुम अपने मिशन में  कामयाब हो गए।अपने लोगों को तुम ने मैसेज दिया कि" गिरीराज" जीत जाए तो जीत जाने दो मगर कंहैया को हर हाल में  हारना चाहिए क्योंकि अगर यह जीत गया तो भूमिहार में एक बड़ा नेता पैदा हो जाएगा और बिहार में एक नया राजनैतिक समीकरण जन्म ले लेगा।
अब एक धन्ना सेठ का दोहन करके फेसबुक पेज पर भूमिहार समाज को मैसेज दे रहे हो कि "साथ चलेंगे,साथ बढ़ेंगे, मिलकर नया बिहार गढ़ेंगे"।मेरे अनुज,जिस तरह किसी गधे की पीठ पर किताब रख देने से वह विद्वान नहीं हो जाता उसी तरह अपनी अक़ूत संपदा को बचाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल के काउंटर से राज्यसभा की मेंबरी का टिकट खरीदने वाला आपका यह प्यादा सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत राष्ट्रीय जनता दल के एक अदना कार्यकर्ता के चरणों की धूल के बराबर भी नहीं है।


गिव एंड टेक के आधार पर आप भले ही खरबपति हो जाएं मगर सामाजिक न्याय,समानता और सामंतवाद के विरूद्ध  गांव-गांव में संघर्षरत आप की पार्टी का हर कार्यकर्ता यह बखूबी समझता है कि ग़रीबों और वंचितों के इस आंदोलन को पूंजीवाद की हवेली में गिरवी रख दिया गया है और मजलूमों तथा अल्पसंख्यकों की सारी आशाओं और आकांक्षाओं ने धन कुबेरों  के दरवाजे पर दम तोड़ दिया है।


जब सारी डील पहले ही तय हो चुकी थी तो सलीम परवेज,हिना शाहाब और राष्ट्रीय स्तर के पत्रकार फैसल अली को झूठे आश्वासन देकर तम्हारे लोग उनके नामों को इसलिए उछाल रहे थे कि इन सबों को सरे बाजार रुसवा करके इन्हें हैसियत बताई जाए और ऐसा करके तुम ने पूरे अल्पसंख्यक समाज को अपने जूतों की ठोकरों में ला दिया है।अच्छा ही किया है तुमने क्योंकि जिस समाज ने तुम्हारे  ख़ानदान की गुलामी के इकरारनामें पर दस्तखत कर दिए हैं उसका यह हश्र होना ही चाहिए।बिल्कुल ठीक किया है तूमने, बिहार के मुसलमानों को अपने घर के दुम डोलाते कुत्तों की हैसियत में लाकर तुम ने यह साबित कर दिया है कि इस समाज को मूर्ख बनाने में तुम अपने पापा से बहुत आगे निकल गए हैं और हो भी क्यों नहीं, आखिर तुम आदरणीय भूपेंद्र यादव जी के अच्छे शागिर्द और माननीय केजरीवाल जी के हर कदम से कुछ न कुछ रोज़ाना सीख रहे हो।
याद करो,बेगूसराय लोकसभा चुनाव को कि एक दर्जन हेलीकॉप्टर दौरों के बावजूद वहां के अल्पसंख्यकों ने अपने समाज के उम्मीदवार जनाब तनवीर हसन साहब को नहीं देश और संविधान को बचाने के लिए संघर्षरत एक उदयमान युवा नेता को वोट देकर न सिर्फ़ सांप्रदायिक और धर्मनिपेक्षता के तुम जैसे ठीकेदारों की ख़ुफ़िया साजिश को बेनकाब कर दिया था बल्कि तुम्हारे खानदान के गुलामी की जंजीर को तोड़ने की शुरूआत कर दी है और आगामी विधानसभा चुनाव के मैदान में देश और संविधान को बचाने के लिए अपनी जान न्योछावर करने तथा  सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता में अटूट आस्था रखने वाले नौजवान प्रत्येक सीट पर तुम्हारे झूठे सेक्युलरिज्म का भंडाफोड़ करेंगे। 2010 के विधान सभा     के चुनाव में राजद को मात्र 23 सीटों पर संतोष करना पड़ा वही हाल 2020 में होने वाला है और मुख्यमंत्री बनने का तुम्हारा  सपना, सपना ही रह जाएगा।


अल्पसंख्यकों की युवा पीढ़ी केजरीवाल और तेजस्वी में कोई फर्क महसूस नहीं करती है और बेवकूफ बनाने के हर चाल से पूरी तरह वाकिफ हो चुकी है। नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में 21 दिसंबर 2019 को भारत बंद के दौरान  इस बंदी में शामिल 20 साल का आमिर हंज़ला अपने हाथों में तिरंगा लेकर शहीद हो गया मगर तुम ने उसके घरवालों को हमदर्दी के दो शब्द भी नहीं कहे जबकि उस शहीद का घर तुम्हारी कोठी से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर है।केजरीवाल ने भी यही किया और दिल्ली दंगों के दौरान  मूकदर्शक की भूमिका को बेहतर ढंग से अंजाम दिया और योगेन्द्र यादव,आशुतोष, प्रशांत भूषण तथा कुमार विश्वाश जैसे समर्पित साथियों की अनदेखी कर के दो धन्ना सेठ गुप्ता बंधुओं को राज्य सभा में भेज दिया।


 सूचना क्रांति के इस दौर में मुस्लिम समुदाय की युवा पीढ़ी यह बख़ूबी समझती है कि भाजपा और दंगों का खौफ दिखा कर थोक में मुसलमानों का  वोट बटोर कर किस तरह इस समुदाय को बेवकूफ बनाया जा रहा है और जब सत्ता में भागीदारी की बात होती है तब मुस्लिम लीडरशिप का गला घोंट कर तुम कभी अपनी बहन तो कभी प्रेम गुप्ता और आई डी सिंह जैसे धन्नासेठों को सत्ता की रेवड़ी बांटते हो।बिहार के समाजिक और राजनैतिक संघर्षों में दिल्ली के धन्ना सेठ प्रेम गुप्ता का क्या योगदान है।इस बिजनेस मैन से न वोट का लाभ है और न ही सामाजिक न्याय के समीकरण में यह फिट बैठता है मगर जब तुम्हारे पापा रेल मंत्री थे तो वह रेल के सफेद-सियाह का मालिक था।उस ने अरबों की सम्पत्ति अर्जित की फलस्वरूप वह ई डी की जांच के दायरे में है।ख़ुद को बचने के लिए उसने रेलवे का सारा कच्चा चिट्ठा भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सौंप कर  न सिर्फ़ तुम्हें फंसाया बल्कि तुम्हारे पापा और करोड़ों वंचितों की आवाज़ माननीय श्री लालू यादव जी को जेल भेजवा दिया।पता चला है कि वह आज कल दिल्ली में तुम्हारे सुख सुविधा का भरपूर ख्याल रखता है।


तुम आसमान छूने की धुन में लगे हुए हो और दिनों दिन तुम्हारी़ ज़मीन खिसकती जा रही है।कुछ युवा यादव मोदी मोदी के रट लगा रहे हैं तो कुछ बाजाप्ता बजरंग दल का हथियार सम्हाले हुए हैं।जिन की आस्था समाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता में है उन में बहुत सारे निराश होकर अब माननीय श्री पप्पू यादव जी के नेतृत्व में ग़रीबों और वंचितों के संघर्षों का भविष्य देख रहे हैं जिन की लीडरशिप को कुचलने के लिए तुम ने सारी शक्ति झोंक दी है।तीन तलाक़ के बिल पर जब तुम्हारी बहन मीसा भारती राज्य सभा से गायब रहकर भारतीय जनता पार्टी की मदद कर रही थी तब दूसरी तरफ श्रीमती रंजीता रंजन ने लोक सभा में पूरी मज़बूती के साथ इस बिल का पुरज़ोर विरोध किया और क़ुरआन शरीफ में तलाक़ से संबंधित आयतों का उल्लेख करके पूरे सदन को आश्चर्यचकित कर दिया था परंतु मज़लूम मुसलमानों का पक्ष सदन में रखने की सज़ा तुम ने इस बेबाक महिला को भी दी और अपनी पार्टी के एक नेता को चुनाव में उतार करके तुम ने इन्हें हराने का काम किया।


तुम्हारे इस छल,प्रपंच और अय्यारी को पढा लिखा तबक़ा बेहतर ढंग से  समझता है।इन हालात में तुम्हें अपनी हैसियत का अंदाजा निश्चित रूप से हो जाएगा। मुझे वह दिन भी याद है जब स्वर्गीय राम लखन सिंह यादव जी बिहार ही नहीं पूरे देश के यादवों के एकछत्र नेता थे।बाद के दिनों में कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता स्वर्गीय राम जयपाल सिंह यादव जी भी यादव समाज के बड़े नेता हुए परंतु वे लोग अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुके हैं। जो नेता अपने समाज की भावना और संघर्ष के साथियों की उपेक्षा करता है तथा अपने विचारों को सेठों के पास गिरवी रख देता है उसे इतिहास के पन्नों में भी जगह नहीं मिलती है।इस लिए धैर्यूपूर्वक इन बातों को पढ़ो और और सामाजिक न्याय तथा धर्मनिरपेक्षता का जो माहौल 1995 में था उसे स्थापित करने के लिए लोभ लालच छोड़ कर ईमानदारी से लग जाओ,क्योंकि कफन में जेब नहीं होता है।


यह बात भी याद रखो कि हुस्न,शबाब और शराब लीडरशिप का दुश्मन है   इसलिए आशा वालों के चक्कर में निराशा  को आमंत्रित मत करो।मुझे उम्मीद है कि तुम मेरे इन इशारों को समझ गए होगे।मैं सिर्फ आईना दिखा रहा हूँ और प्रेम गुप्ता की तरह तुम्हारे परिजनों को ब्लैकमेल करना मेरा मक़सद नही है।मैं तो सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि जिसकी जितनी भागीदारी,उसकी उतनी भागीदारी मिलनी चाहिए। वोट हमारा और राज तुम्हारा की संस्कृति के ख़िलाफ़ हम आवाज़ बुलंद करते रहेंगे और तुम जैसे सियासी बैमानों को नंगा करते रहेंगे।
मझे यह पककी ख़बर है कि जेल जाने के डर से तुम मोदी जी और अमीत शाह जी से चुपके चुपके मिलकर आंसू बहाते रहते हो मगर हम वह हैं जो इन तानाशाहों के आंख में आंख मिलाकर विरोध कर रहे हैं और पूरी दुनिया मेरे हौसलों को सलाम कर रही है।हम अपने सैकड़ों कड़ियल नौजवानों की शहादत देकर अपने मादर ए वतन और उसके संविधान की रक्षा के लिए पिछले तीन माह से करोड़ों की तादाद में भारत की  सड़कों पर संघर्ष कर रहें हैं जिस आन्दोलन से तुम कन्नगी काट रहे हो।
तुम जैसे राजनैतिक बैमानों के विरोध में भी इंक़लाब का शंखनाद किया जायेगा और ज़रूर किया जायेगा,वक़्त का इंतज़ार करो।
शुभाकांक्षी;
मसीह उद्दीन,समाजसेवी,नवादा ।
मो:9334610352