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सुर्योपासना का महालोक पर्व छठ, बिहार, मिथिला, झारखंड, पूर्वांचल और नेपाल का बस एक त्यौहार नहीं है, वो भावना है जिससे लोग भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। झ्सकी कुछ विशिष्टतायें :
★प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे गये हैं।
★छठ पूजा सूर्य और उनकी माता उदिती छठी मइया को समर्पित है।
★छठ में कोई चित्र/मूर्तिपूजा शामिल नहीं है।
★त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है।
★छठ लिंग-विशिष्ट त्यौहार नहीं है। महिलाएं, पुरुष तथा अन्य बड़ी संख्या में इस उत्सव का पालन करते हैं।
★पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ सबसे पर्यावरण-अनुकूल हिंदू त्यौहार है। यह त्यौहार नेपाली और भारतीय लोगों द्वारा अपने डायस्पोरा के साथ मनाया जाता है।
★छठ पूजा का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी पवित्रता और लोकपक्ष है।
★शास्त्रों से अलग यह जन सामान्य द्वारा अपने रीति-रिवाजों के रंगों में गढ़ी गयी उपासना पद्धति है।
★इसके केंद्र में वेद, पुराण जैसे धर्मग्रन्थ न होकर किसान और ग्रामीण जीवन है।
★इस व्रत के लिए न विशेष धन की आवश्यकता है न पुरोहित या गुरु के अभ्यर्थना की। जरूरत पड़ती है तो पास-पड़ोस के सहयोग की जो अपनी सेवा के लिए सहर्ष और कृतज्ञतापूर्वक प्रस्तुत रहता हैं।
छठ पर्व अब अन्तरराष्ट्रीय महापर्व कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी।
■छठ की बात, बिना उसके लोकगीत के अधूरी है, ।छ्ठ पर्व का अदगम् स्थल नालन्दा (बिहार) के निकट का ग्राम बडगाँवह्रै जहाँ सतयुग काल की सूर्यमंदिर है । मुगल आक्रांता र्बाक्तयार खिलजी ने नालन्दा विश्वविद्यालय के साथ साथ झ्स सूर्यमंदिर को भी ध्वस्त किया था जिसका अवशेष आज भी मौजूद हैा
By krishan Deo singh
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