महापौर  चुनाव में क्षेत्रवाद,जातिवाद व अल्पसंख्यकवाद

महापौर  चुनाव में क्षेत्रवाद,जातिवाद व अल्पसंख्यकवाद


कृष्ण देव सिंह
रायपुर ।दिनांक 29दिसम्बर2019.छत्तीसगढ़ की नगरीय निकाय के चुनावों में अपेक्षित सफलता से कांग्रेस पार्टी का गदगद होना स्वभाविक है। प्रेक्षक इस ससफलता का श्रेय प्रमुख रूप से मुख्यमंत्री भुपेश वधेल की रणनीति व नेतृत्व को दे रहें है ,जो सही भी है।क्योंकि भुपेश सरकार ने समय रहते यह फैसला कर लिया था कि महापौर और पालिका अध्यक्षों का प्रत्यक्ष चुनाव नहीं कराया जावेगा ।प्रदेश के 10नगर निगमो,38नगर पालिका तथा 103नगर पंचायतों का चुनाव सफलतापूर्वक सम्पन्न हो चुका है। इसके साथ ही काग्रेस की चुनावी प्रबन्धन और रणनीति के मामले में दाव चल गया ।है।चुनाव निपटने के बाद ही नये सिरे से राजनीतिक कवायदो ने जोर पकड़ लिया है क्योंकि महापौर का चुनाव नये वर्ष की 6जनवरी को रखा गया है। महापौर तथा नगर पालिका अध्यक्षों के लिए राजनीतिक जोड़तोड़ शुरू हो चुका है जिसमें क्षेत्रवाद,जातिवाद,साम्प्रदायवाद और मुहल्लावाद के भी महत्वपूर्ण भूमिका होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
        प्रदेश में कुल10नगर निगमों मे से 7 पर कांगेस का स्पष्ट बहुमत है तथा शेष तीन में निर्दलीय पार्षदों की मदद से काग्रेस अपना महापौर बनाने की स्थिति में है अर्थात प्रदेश के सभी दस नगर निगमों में काग्रेस का महापौर बनने जा रहा है। इसी तरह 18नगर पालिका मे काग्रेस का स्पष्ट बहुमत है जबकि.17में भाजपा को बड़त है। नगर पंचायत में भी काग्रेस को 48 में बढ़त है जबकि भाजपा को 40पर संतोष करना पड़ा है1 प्रदेश की दोनों काग्रेस और भाजपा ने अपने -अपने दल के पार्यवेक्षकों की नियूक्ति कर दी है तथा दोनों तरफ रणनीति बनाने का कार्य जारी हे/ देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से भाजपा कहाँ -कहॉ कब्जा कर पाती है क्योंकि यह चुनाव भाजपा और विशेषकर पूर्व मुख्यमंत्री डा० रमन सिंह के नेतृत्व की भी परीक्षा है।
         प्रदेश की सत्ताघारी दल कांग्रेस ने विशेष स्प से र्सतकतापूर्ण राजनीतिक व रणनीति बनाकर प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में महापौर / अध्यक्ष बनाने का कार्य को सर्वघिक प्रमुखता से करना शुरु कर दिया है।सर्वाघिक.उठापटक महापौर प्रत्यासी चयन को लेकर है। राज्य मे रायपुर,धमतरी,बिलासघुर,रायगढ,कोरबा,अंबिकापुर,चिरमिरी,दुर्ग,राजनांदगांव तथा जगदलपुर  नगरनिगम है/ इनमें से रायपुर,कोरबा,राजनांदगांव ,घमतरी तथा दुर्ग के महापौर चुनाव अपने - अपने कारणों से बहुत ही दिलचस्प हो गया है। विशेषकर रायपुर का।
     महापौर चयन में सबसे ज्यादा हाईप्रोफा३ल मामला रायपुर , बिलासपुर,दुर्ग तथा कोरबा का है। रायपुर तथा बिलासपुर का मामला तो सीधे - सीधे मुख्यमत्री भुपेश वधेल से जुडा हुआ है जबकि दुर्ग मुख्यमंत्री के अतिरिक्त काग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व वयोवृद्ध नेता मोतीलाल वोरा तथा वरिष्ठ मंत्री ताम्रध्वज साहु से जुड़ा है तो कोरबा में दबंग मंत्री जयसिंह अग़वाल और सांसद ज्योत्स्ना मंहत की प्रतिष्ठा दाव पर लगा है।इन सब में भी सबसे दिलचस्प मामला रायपुर महापौर के चुनाव को लेकर उत्पन्न हो गया है हलांकि बिलासपुर के महापौर का चुनाव भी उतना ही दिलचस्प है|
        रायपुर नगरनिगम में कांग्रेस को बहुमत से सिर्फ एक मतों से दूर है। जबकि 7निर्दलीय पार्षद जीतकर आये हैं। निर्दलीय पार्षदों की एकजुटता की खबरों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों की नींद उड़ाई है।हलांकि भाजपा को  बहुमत के लिए 6पाषर्दों की जरुरत होगी।माना जा रहा है कि इस मामले में भारी खींचतान होगी| हलांकि योग्यता,वरिष्ठता और अनुभब का यदि पैमाना माना जावेगा तो कांग्रेस सबसें उपयुक्त महापौर प्रत्याशी श्रीकुमार मेनन है लेकिन यदि अल्पसंख्यकवाद चला तो एजाज देबर की लाटरी खुल सकती है। और यदि जातिवाद चला तो मुकाबला ज्ञानेश शर्मा और प्रमोद दुवे में होगा। इस चुनाव में किसी न किसी रूप में मोहल्लावाद और क्षेत्रवाद भी हावी होगा तब श्रीकुमार मेनन का पत्ता कट सकता है।  पूर्व महापौर प्रमोद दुवे को पुनः महापौर  बनाना और नहीं बनाना ,मुर०य मंत्री भुपेश बघेल पर निर्भर करता है लेकिन श्री  दुवे  के अतिरिक्त एजाज को भी उनके लख्ते -जिगर कहा जाता है। प्रसंगवस दोनों ही पूर्व मुर०य मंत्री अजीत जोगी के भी लख्ते - जिगर रह चुके और श्री दुवे रिकार्ड मतों से लोकसभा चुनाव भी हार चुके हैं । स्थिति चाहे जो हो बिलासपुर तथा रायपुर के महापौर के प्रत्याशी का चयन श्री वधेल की राजनीतिक सोच और दिशा को भी विशेष रूप से तय करेगा ?
**बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क