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भिलाई इस्पात. एक्सप्रेस चलाने की मांग
..कृष्ण देव सिंह
मैं आप सभी छत्तीसगढ़ व विशेषकर भिलाई वासियों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि हमारे देश में भारतीय रेलवे द्वारा क़रीब 20000 से ज्यादा पैसेंजर/ एक्सप्रेस /सुपरफास्ट / मेल ट्रेन चलती हैं जिसके कुछ नाम इस प्रकार है आज़ाद हिंद एक्सप्रेस, स्टील एक्सप्रेस (टाटानगर से हावड़ा), लालकिला एक्सप्रेस, चम्बल एक्सप्रेस, लोकमान्य एक्सप्रेस, ब्लैकडायमण्ड एक्सप्रेस, हीराकुड एक्सप्रेस, समता एक्सप्रेस, नीलगिरी एक्सप्रेस, हटिया एक्सप्रेस, हिमालय कुईन एक्सप्रेस, गंगा कावेरी एक्सप्रेस ,साउथ बिहार एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, तुफान मेल, बम्बे हावडा मेल, तीन सुखिया मेल , कालका एक्सप्रेस ,मालवा एक्स्प्रेस, गितान्जली एक्सप्रेस आदि आदि।၊
पर पूरे भारत की ट्रेनें जिस पटरियों (rails) पर दौड़ रही हैं जिसे हमारा भिलाई स्टील प्लांट द्वारा बनाया जाता हैं, आपको नही लगता कि उसके नाम का भी एक ट्रेन (एक्सप्रेस / मेल)होना चाहिये। जैसे भिलाई एक्सप्रेस, भिलाई इस्पात एक्सप्रेस। यहाँ सोचने वाली बात यह है कि आज भी 60% भारतवासी ,भिलाई नाम से अनभिज्ञ हैं। मैं इस पोस्ट से इंडियन रेलवे से सलाह /अपील करता हूँ कि भिलाई स्टील प्लांट द्वारा भारतीय रेलवे के प्रति योगदान को स्वीकार करते हुए कम से कम एक ट्रेन का नाम भिलाई से जोड़ते हुए रखें।
इस सन्दर्भ में मेरा एक सुक्षाव /मांग है I संभव है . मेरा प्रस्ताव / मांगआपकों पंसद आये। मेरे सुक्षाव /मांग के पीछे आर्थिक,धार्मिक, सांस्कृतिक तथा पर्यटन की संभावनायें. तथा ट्रेन चलाने के पीछे भारतीय रेल को होने वाली आर्थिक . लाभ की संभावनायें व सामाजिक लाभ है। प्रदेश के लोग बहुत भारी संख्या में गया विशेषकर पूर्वजों. के लिये श्राध्य कार्य हेतु जाते हैं। वोद्धगया, राजगृह, पावापुरी, सिखर्जी,श्री साम्बेद शिखर, नालन्दा,पारसनाथ,राजरप्पा, विहारशरीफ,फुलवारी शरीफ, गुरू गोविन्द सिंह जी की जन्मस्थली पटना साहिव यादि अन्तराष्ट्रिय महत्व के धार्मिक , ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों में जैन,बौद्ध, सिख, हिन्दू, व.मुसलमान का आना -. जाना लगा रहता है।अगर दुर्ग(छग) से राउलकेला (उड़िसा] तथा राँची - बोकारो (क्षारखण्ड)होते हुए गया और गया से राजगृह नालन्दा वाक्तियारपुर होते हुए पटना(बिहार) स्थित राजेन्द्र नगर रेल्वे टर्मिनल तक व फिर उसी राह से वापस.दुर्ग आने - जाने के लिए एक्सप्रेस/ सुपरफास्ट ट्रेन चलाया जावे और उसका नाम भिलाई के नाम पर रखा जावे.। यह ट्रेन राउलकेला ३स्पात संयत्र, बोकारो इस्पात संयत्र तभा क्षारखण्ड की राजधानी राँची जहाँ भेल भी स्थित है , को भी जोडेगा तभा ३स मार्ग के खुलने / जुडने से विकास के अन्य . मार्ग भी खुलेगें।पर्यटन के दृष्टि से भी इस मार्ग में दर्जनों अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्थल हैं।इसी मार्ग में भिलाई,राउलकेला,बोकारों के इस्पात संयत्रों के अतिरिक्त जिंदल इस्पात संयंत्र रायगढ़,हचईंजी रॉची जों मेकान का मुख्यालय भी है,घनवाद कोल माइन्स,सिंन्दरी खाद सयंत्र जैसे देश के जाने माने संस्थान हैं। झ्सके अतिरिक्त केन्द्र सरकार तथा विभिन्न राष्ट्रीय / अंतराष्ट्रीय कम्पनियों के कार्यालयों में भारी संख्या में लोगों का आना जाना है जिनमें कोरबाके कोलमाइन्स ,बालको और दक्षिण पूर्व रेल्वे मुख्यालय भी है।
मेरा यह अपील किसी राजनीतिक पार्टी, या किसी धर्म या किसी समाज से प्रेरित न होकर पूरे छत्तीसगढ़ व विशेषकर भिलाई वासियों की भावनाओं से जुड़ी है। यदि आपको मेरी यह पोस्ट में थोड़ी सी भी भिलाई या भिलाई स्टील प्लांट के प्रति युक्तिपूर्ण या उचित लगे तो आगे बढ़ाइये जिससे यह बात प्रधानमंत्री , रेलमंत्री,मुख्यमंत्री,भारतीय रेलवे व इस्पात मंत्रालय, अपने प्रदेश के सभी सांसद व विधायक/ भिलाई स्टील प्लांट के CEO तक पहुँचे।निसंदेह इससे हम सभी छत्तीसगढ़ व विशेषकर भिलाई वासियों बहुत गौरर्वान्वित होंगे।
*बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क
भिलाई इस्पात. एक्सप्रेस चलाने की मांग