एप्सों के राष्ट्रीय सम्मेलन ने गहरी छाप छोड़ी

एप्सों के राष्ट्रीय सम्मेलन ने गहरी छाप छोड़ी
कृब्ण देव सिंह
रायपुर।रायपुर के मेडिकल कालेज हॉल में दिनांक 3जनवरीसे5जनवरी2020तक के तीन दिवसीय  अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ । सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सुविचारित और ओजस्वी उद्घाटन व्याख्यान से देश-विदेश से पधारे 500 से अधिक प्रतिनिधियों को  प्रभावित किया। रात्रिभोज में भी वे अनौपचारिक तथा सहज भाव से सबसे मिले।उद्घाटन समारोह के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष तथा सम्मेलन की स्वागत समिति के अध्यक्ष डा०चरणदास महंत के सारगर्भित व्याख्यान व सहज वक्तृता ने भी श्रोताओं के मन पर गहरी छाप छोड़ी।इस राष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व शांति आंदोलन से जुड़े अनेक देशों के शांतिदूतों के साथ भारत के लगभग 26 प्रदेशों के 500 डेलीगेट भाग लिया।
            एप्सो के रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की प्रमुख विशेषता रही कि अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर संगठन को मजबूती देने वाले अग्रणी जनों का स्मरण किया गया।रोमेश चंद्र की स्मृति में उनकी जन्मशती पर विशेष सत्र रखा गया। वे विश्व शांति परिषद के लंबे समय तक अध्यक्ष थे।सुश्री पेरिन चंद्र के सम्मान में सभागार का नामकरण किया गया। उन्होंने महासचिव के रूप में एप्सो के उद्देश्यों और कार्यक्रमों को विस्तार देने का महत्वपूर्ण काम किया।मुख्य द्वार का नामकरण मायाराम सुरजन द्वार रखा गया। वे मध्यप्रदेश एप्सो के अनेक वर्षों तक अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष मंडल के सदस्य थे।छत्तीसगढ़ में एप्सो को सुदृढ़ आधार देने में राजनांदगाँव के कन्हैयालाल अग्रवाल तथा रायपुर के स्व गुलाब भगवानानी व श्रीमती शीला भगवानानी का उल्लेखनीय योगदान था। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि भूपेश बघेल व अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने श्रीमती शीला भगवानानी को  शाल, श्रीफल देकर सम्मानित किया। शतायु अग्रवालजी का सम्मान राजनांदगाँव में उनके निवास पर जाकर किया।
        छत्तीसगढ़ एप्सों के अध्यक्ष व पूर्व कांग्रेस के रायगढ़ क्षेत्र के लोक संसद पुष्पा देवी सिंह के औपचारिक स्वागत उद्बोधन के बाद सम्मेलन के मुख्य संरक्षक व मुख्य अतिथि, मुख्य मंत्री भूपेष बघेल जी ने कहा कि- 7 दशक बाद छत्तीसगढ़ को यह प्रतिनिधित्व मिला है। यह संगठन विश्व युद्ध के समय विश्व शांति के लिए नेहरूजी के सहयोग को याद दिलाता है। एप्सो के शांति दूत लगातार मानवता के लिए कार्य कर रहे हैं। एप्सों के प्रसीडियम सदस्य ललित सुरजन  को शांति और सद्भावना दूत के रूप में छत्तीसगढ़ में देखा जा रहा है।  दुनिया को, मानवता को आज पूंजीवाद से खतरा है। हम लोकतंत्र के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं, लोकतंत्र को भीड़तंत्र में तब्दील किया जा रहा है। लोकतांत्रिक संस्थानों से लोगों का विश्वास उठ गया है।  1947, 1992, 2002 के बाद अब फिर देश को बांटा जा रहा है। मैं एन आर सी पर हस्ताक्षर नहीं करूंगा, राजनीति का जवाब राजनीतिक रूप में देना है। देश को बिना वजह आग में झोंक दिया गया है। हम सब शांति दूतों को इस पर विचार मंथन करने की जरूरत है।
          विधानसभा अध्यक्ष व एप्सो  स्वागत समिति के अध्यक्ष  डॉ चरण दास महंत जी ने कहा कि हमने भारत में श्रेष्ठ संस्कारों को स्वीकारा है, उसे बनाए रखना है। छत्तीसगढ़ को शांति का टापू बना कर रखना है, हमारे प्रदेश में सामाजिक समरसता की अलग ही पहचान है, हमने विधानसभा को गांधीमय बनाया है, सभी को कोसा कपड़ा पहना कर अखण्ड भारत एकजुटता का परिचय दिया है। कबीर, नानक, घासीदासजी से बहुत कुछ सीखा है उनका अनुसरण करेंगे। कार्यक्रम के विशेष आर्कषण के केन्द्र वेनेजुएला के राजदूत- गोतोए, फिलिस्तीन राजदूत- अबू अल आएगा, क्यूबा राजदूत- कार्डोस आस्कर मार्डिनेज, वियतनाम के विश्व शांति प्रतिनिधि- नागवेन्द्र हिंग ह्यूंग, छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत, छत्तीसगढ़ एप्सो अध्यक्षा सुश्री पुष्पा देवी सिंह, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और इस कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत व देशबन्धु के प्रधान संपादक ललित सुरजन और पूरे भारत के सभी राज्यों के प्रतिनिधि रहे।
            राजधानी में अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशेष रन्प प्रतिनिथियों का ध्यान लोकतंत्र की वर्तमान व्यवस्था पर गंभीर सवाल पर दिलाया। उन्होंने कहा कि हम लोकतंत्र के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं ऐसा लग रहा है कि तंत्र के लिए लोक गौण हो गया है ।सत्ताधारी दल के लोगों को दिग्भ्रमित कर लोकतंत्र को भीड़तंत्र तब्दील करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। संकेत सारे ऐसे हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र धीरे-धीरे तानाशाही की ओर बढ़ रहा है।


           अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में अगले तीन वर्ष के लिए नई कार्यकारिणी का निर्वाचन हुआ। इसमें छत्तीसगढ़ से निम्नलिखित पदाधिकारी चुने गए-
प्रदेश अध्यक्ष व निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पुष्पा देवी सिंह अब नवगठित ग्यारह सदस्यीय राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य होंगी।ललित सुरजन चार सदस्यीय राष्ट्रीय अध्यक्ष मंडल के लिए लगातार दूसरी बार निर्वाचित किए गए।रवि श्रीवास्तव उपाध्यक्ष मंडल में व अरुणकांत शुक्ल सचिव मंडल में पहली बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
             
          तीन दिवसीय सम्मेलन के प्रतिनिधि अभिव्यक्ति सत्र में प्रतिनिधियों ने अपने-विचार ररवे जिनमें कुछ निम्नांकित हैं:
हरिद्वार (उत्तराखण्ड)- अमरेश कुमार ...एप्सो गरीबों का, किसान का, युवा का हो तभी संगठन मजबूत होगा। 
          पाण्डिचेरी- आर एस जीवानंदन ... शिक्षा तंत्र पर जो युद्ध चल रहा है उसे समझने की जरूरत है। 
        पंजाब- रौशन सिंह ...हमारा स्लोगन "हमारा देश, हमारा संविधान शांति और इंसानियत के लिए " हमें 3 साल काम करने हैं पर जो हालात हम देख रहे हैं कि सरकार किसे मदद कर रही है, यह संभव नहीं लगता। सामाजिक नुकसान एप्सो की चिंता है।  प्रो.बी के पाण्डेय जी के अध्यक्षीय सत्र में बिहार से डॉ शम्भूषण सिंह ने कहा कि ..संविधान बचाओ की चर्चा इस सत्र में होनी चाहिए। एन आर सी, सी ए ए का एक ऐसा तंत्र देश में चल रहा है जिससे नौजवान बरगलाए जा रहे हैं। गांधी जी के 150 वीं जयंती के साथ-साथ गोडसे का इतिहास लिखा जा रहा है, जिसे हम मिटा कर रहेंगे। संविधान बचाओ माह/सप्ताह मनाया जाना चाहिये। बंगला देश, नेपाल के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे। केरल की श्रीना देवी एप्सो के राष्ट्रीय ड्राफ्ट को स्वीकारते हुए तेजस्वी ओज में  बोलीं कि संविधान के साथ खिलवाड़ हो रहा है,   भाषाओं और धर्मों को लड़ाया जा रहा है ।पर्यावरण पर बल देते हुए इसे भी एप्सो की रूपरेखा में शामिल करने के लिए प्रस्ताव रखा। ओडिशा पारादीप के अभय साहू जिन्हें एन्टी पास्को गतिविधियों का नेता कहा जाता है ने बताया कि एप्सो अराजनीतिक छतरी है जो एक सिद्धांत लेकर चलती है। पंजाब से जसपाल सिंह ने कहा कि देश के सामने फासिज्म  का संकट चल रहा है, नोट बंदी से इसकी शुरुआत हुई जो और कुछ गतिविधियों के साथ रूकने का नाम नहीं ले रही है। केरला के राधाकृष्णन ने आयोजन समिति और छत्तीसगढ़ एप्सो, भूपेश बघेल जी, चरण दास महंत जी का सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि ग्लोबल वार्मिंग पर भी ध्यान देना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने ब्रिटिश भारत के सर्वप्रथम महिला महासचिव कामरेड पेरीन चंद्रा को नमन् श्रद्धांजलि अर्पित की।  पेलेस्टिन प्रतिनिधि का मोबाइल संदेश राष्ट्रीय कार्यकारिणी महासचिव पल्लव सेनगुप्ता जी द्वारा पढ़ा गया। 6 घंटे में करीब 32 प्रतिनिधि बोले। छत्तीसगढ़, भिलाई-दुर्ग संयोजक रवि श्रीवास्तव जी ने कहा कि  हम  विगत 8-10 वर्षों में मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियों को विद्यालयों, महाविद्यालयों में ले जाकर, उनकी जयंती मना कर, उनकी भावनाओं को आत्मसात कर विश्व शांति और इंसानियत की अलख जगा रहे हैं।.
**बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क