मध्यप्रदेश  की छवि सुधारने में लगे हैं  कमलनाथ

मध्यप्रदेश  की छवि सुधारने में लगे हैं  कमलनाथ
             कृष्ण देव सिंह
     भोपाल ।मध्य प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य प्रतिपक्षी दल भाजपा के बीच बीते साल से आरम्भ आरोप-प्रत्यारोपों का दौर नये साल में और तीखा एवं तल्ख होता जा रहा है। यदि भाजपा आरोपों का नहला जड़ती है तो कांग्रेस उसी तल्ख लहजे में जवाब देते हैं। चाहे माफिया के विरुद्ध अभियान हो या शराब दुकानों का मामला या फिर कोई अन्य मामला, आरोपों-प्रत्यारोपों के विष बुझे बाण दोनों पार्टियों द्वारा छोड़े जा रहे हैं। इन सबके बीच जनता की समस्याओं से जुड़े दैनंदिनी सवाल गुम होते जा रहे हैं। हलांकि कमलनाथ जी लगातार रोड मैप बनाकर विकास को प्रमुखता दे रहें हैं लेकिनराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भाजपा के लिए जमीनी आधार मजबूत करने का मोर्चा संभालने वाला है तो कांग्रेस सेवादल को नये बौद्धिक और जुबानी तीरों से लेस कर उसका मुकाबला करने के लिए कमर कसती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राष्ट्रीय सेवादल के विषारद प्रशिक्षण शिविर में कहा है कि प्रदेश में सेवादल अकादमी और आईटी सेल बनाने में पूरा सहयोग दिया जायेगा ताकि यह संगठन गुमराह करने वाली राजनीति का मुकाबला करने में दक्ष एवं मजबूत बन सके। प्रदेश कांग्रेस कमेटी इसमें पूरा सहयोग देगी। 


                सामान्यत: यह देखने में आया है कि जो सत्ता में रहते अनुकूल नजर आता है वह प्रतिपक्ष की भूमिका में जाते ही प्रतिकूल व जनविरोधी नजर आने लगता है और विपक्ष में रहते जो निर्णय और रीति-नीति जनविरोधी एवं जनहित के प्रतिकूल नजर आती है उनमें से कुछ को सत्ता में आते ही अंगीकार करने में  परहेज नहीं रह जाता।  हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुनाव के पूर्व जनता से जो वायदे किए थे उन्हें पूरा करने की दिशा में वे पूरी शिद्दत के साथ आगे बढ़ रहे हैं । उनका कहना है कि  अच्छे कार्यों एवं वचनों को पूरा करने का प्रमाणपत्र विपक्ष या किसी अन्य से लेने की दरकार नहीं है । विभिन्न माफियाओं के खिलाफ युद्ध का शंखनॉद कर प्रदेश को माफियामुक्त बनाने का जो अभियान राज्य  सरकार ने छेड़ा है उससे कमलनाथ की छवि में निखार आया है लेकिन मुख्यमंत्री की यह भी जिम्मेदारी है कि वे इस बात पर सतत् निरागनी रखें कि यह अभियान कहीं मैदानी स्तर पर अपने मूल उद्देश्य से भटक न जाये।
   .              सत्ताधारी दल की असली प्राथमिकता सरकार का राजस्व बढ़ाने की होती है जबकि विपक्षी दल जनता के बीच अपनी छवि निखारने की उहापोह में मशगूल रहता है। डेढ़ दशक बाद सत्ता में आई कांग्रेस को विरासत में खाली खजाना मिला ।यह बात स्वयं तत्कालीन वित्त मंत्री जयन्त मलैया ने सरकार की बिदाई की बेला में स्वीकार की थी। दूसरे केन्द्र सरकार ने भी बहुत सी मदों में प्रदेश को मिलने वाली राशि में या तो कटौती कर दी है या अभी तक नहीं दी है, इसलिए अपना खाली खजाना भरने के लिए सरकार तेजी से प्रयास कर रही है। रेत खदानों की नीलामी से लगभग 1200 करोड़ रुपये राजस्व मिलने का इंतजाम सरकार कर चुकी है और अब आबकारी विभाग के माध्यम से राजस्व बढ़ाने की जुगत में सरकार लगी है। शराब की दुकानें खोलने के लिए बनाये गये नये स्लैब का विपक्षी दल भाजपा ने जमकर विरोध किया है और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इसके विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। इनके आरोपों का विधि एवं जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा और सामान्य प्रशासन एवं सहकारिता मंत्री गोविन्द सिंह ने तीखा विरोध करते हुए भाजपा शासनकाल की हकीकत बयॉ की है। स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ मैदान में उतरे और उन्होंने शिवराज को पत्र लिखते हुए यह कहकर कि आपका दावा गलत है, आपने ही खोलीं शराब की नई दुकानें, इसलिए आपका दावा गलत है। शिवराज का आरोप था कि सरकार ने शराब माफिया को तोहफा दे दिया है और अब राज्य मदिरा प्रदेश बन जायेगा।  कमलनाथ को पत्र लिखकर आबकारी नीति में बदलाव पर ऐतराज करते हुए कहा था कि शराब की दुकानें खोलने की अधिसूचना जारी कर शराब माफिया को नये साल का तोहफा दिया गया है। कमलनाथ ने शिवराज को लिखे पत्र में कहा कि आपके राज में शराब की नई दुकानें नहीं खुलीं यह दावा गलत है। 2003-2004 में देशी मदिरा की दुकानें 2221 थीं जो बढ़कर 2770 हो गयी हैं, इसी तरह विदेशी शराब की दुकानें भी 581 से बढ़कर 916 हो गयी थीं। भाजपा शासित राज्य उत्तरप्रदेश का हवाला देते हुए उन्होंने शिवराज के सामने यह भी स्पष्ट किया कि वहां एक लाख की आबादी पर बारह दुकानें हैं जबकि मध्यप्रदेश में महज पांच हैं। शिवराज के आरोप का हवाला देते हुए कमलनाथ ने कहा कि आपने लिखा कि नये आदेश से 2000 से 2500 नई दुकानें खुलेगें। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सरकार द्वारा फैसले को वापस नहीं लेने की स्थिति में मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना देने की चेतावनी दी। भार्गव ने कहा कि कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में शराब मुक्त प्रदेश बनाने का वायदा किया था लेकिन अब वह वचनपत्र के विपरीत काम कर रही है। शराब यदि गांव-गांव में बिकेगी तो महिलाओं के साथ अपरोधों में भी वृद्धि हो जायेगी, हम ऐसी दुकानें नहीं चलने देंगे। सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा है कि शिवराज भाषण न दें, शराब नीति प्रदेश में अच्छी बनी है, इससे शराब माफियाओं पर रोक लगेगी। यदि शिवराज शराबबंदी के हिमायती थे तो उन्होंने मुख्यमंत्री रहते शराबबंदी क्यों नहीं की। जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने तो यहां तक कहा कि शिवराज एवं भाजपा को इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके शासनकाल में शराब माफिया पूरे प्रदेश में फैला था।
         प्रदेश कांग्रेस  के अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने शिवराज पर तंज कसते हुए कहा है कि आबकारी नीति में परिवर्तन शराब माफियाओं के खिलाफ है लेकिन शिवराज सिंह चौहान उसका विरोध कर शराब माफियाओं के संरक्षक बनकर उसके पक्ष में खड़े हो रहे हैं। उन्होने आरोप लगाया कि शिवराज चाहते हैं कि शराब माफिया राज्य में खूब पनपे। सलूजा के अनुसार आबकारी नीति में जारी नई अधिसूचना सिर्फ अवैध शराब की तस्करी व बिक्री रोकने के लिए लाई गई है। अवैध शराब की बिक्री से होने वाले जनहानि और विवाद को रोकने के लिए ही यह प्रावधान किए गए है। अधिसूचना में स्पष्ट उल्लेख है कि जहां अवैध शराब की तस्करी की रिपोर्ट आएगी वहीं उपशराब दुकान खोलने की अनुमति दी जाएगी। यदि सलूजा शिवराज पर तंज कस रहे हैं तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि कमलनाथ बुजुर्गों का राशन घर भेजने वाले थे लेकिन अब वे घर घर शराब परोसने मेंं लग गए हैं। कमलनाथ सरकार ने शराब दुकानों के बारे में जो निर्णय लिया है उससे हर मोहल्ले में शराब की दुकान खोलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
         मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ राज्य में विकास के अगले चार वर्ष के रोडमैप पर काम कर रहे हैं, वे राज्य को नई पहचान दिलाना चाहते हैं, ताकि राज्य की पहचान माफिया और जानलेवा व्यापम घोटाले से ना हो।
कमल नाथ ने जब राज्य की सत्ता संभाली तो कई तरह की चुनौतियां उनके सामने थी। राज्य आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा था, किसानों की हालत अच्छी नहीं थी, रोजगार के अवसर पैदा करना बड़ी चुनौती बनकर मुंह फैलाए हुए था। इन स्थितियों से बीते एक साल में उन्होंने कैसे निपटा और आगामी समय में उनकी चार साल के लिए वे किस योजना पर काम कर रहे हैं। इस पर उन्होंने गुरुवार को आईएएनएस से खुलकर बात की।


मुख्यमंत्री ने राज्य की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा, "जब उन्होंने सत्ता संभाली थी, तब राज्य का खजाना खाली थी। उसके बाद भी सरकार ने अपने वचनों को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। शपथ लेने के बाद सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ करने की फाइल पर हस्ताक्षर किए और किसानों का चरणबद्ध तरीके से दो लाख तक कर्ज माफ किया जा रहा है। बीते एक साल में ढाई माह तो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता में ही निकल गया, मात्र साढ़े नौ माह ही काम करने का अवसर मिला।"


अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "सरकार ने तिजोरी खाली मिलने के बाद भी विभिन्न विभागों की योजनाओं को आगे बढ़ाया और इन योजनाओं की डिलीवरी का वातावरण बनाने का काम किया। इसी का नतीजा है कि हर वर्ग को उसकी योजनाओं का बेहतर तरीके से लाभ मिल रहा है।"


राज्य में भू-माफिया, मिलावटखोरों, तस्करों आदि के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को जरूरी बताते हुए कमल नाथ कहते हैं, "पूर्ववर्ती सरकार के संरक्षण में बीते 15 साल में राज्य में माफिया पनपते रहे, ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी थी जो नहीं हुई, उल्टे उन्हें संरक्षण मिलता रहा। यही कारण है कि वर्तमान सरकार को इन लोगों के। खिलाफ अभियान छेड़ना पड़ा है, माफियाओं को संरक्षण देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे अफसर हों या राजनीतिक दलों के नेता।


        उन्होंने कहा, "राज्य की पहचान माफिया और व्यापम से नहीं हो सकती, इसे राज्य की पहचान बनने भी नहीं दिया जाएगा, वर्तमान सरकार विकास और प्रगति के जरिए प्रदेश को नई पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है, किसानों में खुशहाली, नौजवान को रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा में सुधार और सभी वर्गो का विकास सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इन कोशिशों के चलते राज्य को विकसित राज्य के तौर पहचाना जाएगा, न कि माफिया और व्यापम से।"


राज्य का व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाला बीते कई वर्षो से चर्चाओं में है। इस मामले की सीबीआई जांच जारी है, वहीं इससे जुड़े 55 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस घोटाले में राजनेताओं, नौकरशाहों के गठजोड़ पर से पर्दा उठा है। इसमें दो हजार से ज्यादा लोग जेल गए, वहीं पांच सौ से ज्यादा फरार है।


राज्य में निवेश को बढ़ा देने के लिए राज्य सरकार ने पिछले दिनों इंदौर में आयोजित मैग्नीफिसेंट एमपी का आयोजन किया। वहीं निवेशकों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किए जाने के प्रयास जारी है।राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए चल रहे प्रयासों का हवाला देते हुए कमल नाथ ने कहा, "निवेशकों में सबसे पहले भरोसा पैदा करना जरूरी है और उस दिशा में राज्य सरकार कदम बढ़ा रही है, निवेशकों की जरूरत के मुताबिक नीति पर काम हो रहा है। वहीं दूसरी ओर युवाओं और क्षेत्रीय लोगांे को रोजगार मिले इसके लिए स्थानीय लोगों को रोजगार देने की शर्त को जोड़ा गया है। वहीं स्वरोजगार के लिए कौशल विकास पर जोर दिया जा रहा है। आने वाले सालों में सरकार के प्रयासों के नतीजे सामने होंगे।"
**बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क