सनातन हिन्दु घर्म के विरुद्ध  घृर्णित षडयंत्र        

सनातन हिन्दु घर्म के विरुद्ध  घृर्णित षडयंत्र             
             कृष्ण देव सिंह
              सनातन हिन्दु  घर्म और उसपर आस्था रखने.वालों के विरुद्ध . घृर्णित आलेख अक्सर फर्जी नाम  से सोसल  मीडिया में पोस्ट हो रहें हैा जिसका  लक्ष्य अकसर  अन्य पिछडा वर्ग / अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के लोगों को बौद्ध घर्म अपनाने के लिए प्रेरित करना और हिन्दु घर्म को मानने वाले सामान्य वर्ग के लोगों के प्रति नफरत फैलाना है। ऐसा कोई घर्म / जाति/ वर्ग दुनिया के किसी भी हिस्से में नही है जिससे किसी न किसी तरह का अबगुण नही है l वक्त के साथ सनातन घर्म में बहुत सारे परिवर्तन हुआ है और आज .  भी हमारी आस्था और विश्वास सनातन . हिन्दु घर्म में है । हमें आपस में लड़ाने का धृर्णित  प्रयास करने वाले ऐसे लोगों के नापाक इरादों को पुरी तरह ध्वस्त करना ही होगा । 
     पोस्ट में कहा गयाहै कि हिंदू नाम का कोई धर्म नही है… हिन्दू फ़ारसी का शब्द है । हिन्दू शब्द न तो वेद में है, न पुराण में ,न उपनिषद में ,न आरण्यक में ,न रामायण में, न ही महाभारत में । स्वयं दयानन्दसरस्वती कबूल करते हैं कि यह मुगलों द्वारा दी गई गाली है । वे यहीं नही रुकते वाल्कि उनका तर्क है कि
1875 में ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की, हिन्दू समाज की नहीं । ब्राह्मणो ने स्वयं को हिन्दू कभी नहीं कहा । आज भी वे स्वयं को ब्राह्मण कहते हैं ,लेकिन सभी शूद्रों को हिन्दू कहते हैं । जब शिवाजी हिन्दू थे, और मुगलों के विरोध में लड़ रहे थे ,तथाकथित हिन्दू धर्म के रक्षक थे ,तब भी पूना के ब्राह्मणो ने उन्हें शूद्र कह राजतिलक से इंकार कर दिया । घूस का लालच देकर ब्राह्मण गागाभट्ट को बनारस से बुलाया गया । हिंदू का सच ,गगाभट्ट ने “गागाभट्टी” लिखा ,उसमें उन्हें विदेशी राजपूतों का वंशज बताया तो गया लेकिन ,राजतिलक के दौरान मंत्र “पुराणों” के ही पढे गए, वेदों के नहीं। तो शिवाजी को हिन्दू तब नहीं माना                                              


     .अब इन अतिज्ञानियों को कौन. समक्षाये कि शिवाजी को क्षत्रिय प्रमाणित किया गया था, राजपूत नही । हम यहाँ स्पस्ट कर दें कि सभी राजपूत क्षत्रिय हैं पर सभी क्षत्रिय राजपूत नहीं हैं। शिवाजी कुर्मी क्षत्रिय आति के थे जो क्षत्रियों का सबसे पुरानी जाति/वर्ग है I वे आगे. कहते हैं किब्राह्मणो ने मुगलों से कहा, हम हिन्दू नहीं हैं, बल्कि तुम्हारी तरह ही विदेशी हैं, परिणामतः सारे हिंदुओं पर जज़िया लगाया गया, लेकिन ब्राह्मणो को मुक्त रखा गया । 1920 में ब्रिटेन में वयस्क मताधिकार की चर्चा शुरू हुई । ब्रिटेन में भी दलील दी गई कि वयस्क मताधिकार सिर्फ जमींदारों व करदाताओं को दिया जाए । लेकिन लोकतन्त्र की जीत हुई । वयस्क मताधिकार सभी को दिया गया । देर सबेर ब्रिटिश भारत में भी यही होना था । तिलक ने इसका विरोध किया । कहा “तेली,तंबोली ,माली ,कूणबटो को संसद में जाकर क्या हल चलाना है” । ब्राह्मणो ने सोचा ,भारत में वयस्क मताधिकार यदि लागू हुआ तो, अल्पसंख्यक ब्राह्मण मक्खी की तरह फेंक दियेजाएंगे । अल्पसंख्यक ब्राह्मण कभी भी बहुसंख्यक नहीं बन सकेंगे । सत्ता बहुसंख्यकों के हाथों में चली जाएगी । तब 1922 में “हिन्दू महासभा” का गठन किया ।  ब्राह्मण वयस्क मताधिकार से विवश हुये । परिणाम सामने है । भारत के प्रत्येक सत्ता के केंद्र पर ब्राह्मणो का कब्जा है । सरकार में ब्राह्मण,विपक्ष में ब्राह्मण ,कम्युनिस्ट में ब्राह्मण ,ममता ब्राह्मण ,जयललिता ब्राह्मण . 367 एमपी ब्राह्मणो के कब्जों में है । सर्वोच्च न्यायलयों में ब्राह्मणो का कब्जा,ब्यूरोक्रेसी मे    ब्राह्मणकब्जा,मीडिया ,पुलिस ,मिलिटरी ,शिक्षा ,आर्थिक सभी जगह ब्राह्मणो का कब्जा है ।         
                   षडयंत्रकारी और घृणा फैलाने वाले आगे. कहते हैं कि यही वह हिन्दू शब्द है जो न तो वेद में है न पुराण में, न उपनिषद में, न आरण्यक में, न रामायण में ,न ही महाभारत में । फिर भी ब्राह्मण हमें हिन्दू कहते हैं ।  दलित मंदिर में चला जाय तो मंदिर अपवित्र हो जाता है। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं की , ढोल किस जानवर की चमड़ी से बना है। उनके लिए मरे हुए जानवर की चमड़ी पवित्र है,  बुद्धिजीवी प्रकाश डाले !!  यदि पूजा-पाठ करने से ही बुद्धि और शिक्षा आती तो , पंडों की औलादें ही विश्व में वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर होती. " वहम् से बचों, अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाओ क्योंकि, शिक्षा से ही वैज्ञानिक-डॉक्टर-इंजीनियर और शासक बनते हैं . पूजा-पाठ से नहीं. अतः वहम् का कोई ईलाज नहीं और , शिक्षा का कोई जवाब नहीं. शिक्षित बनो " संगठित रहो " संघर्ष करो "   
          सनातन धर्म मे क्या हुआ ? इसके बाद हिन्दु घर्म. आने. बाले सभी देवी - देवताओं और ऋर्षि - मुनियों की चरित्र को लेकर गंदी से गंदी बातें लिखा गया है जिसे निकालने के शिवा मेरे पास दुसरा चारा नही था  T खैर आगे वे लिखते हैं कि ऐसी न जानें कितनी घटनाएँ इनके धर्म ग्रन्थों में भरी पढ़ी हैं ,इस पोस्ट को करने का मेरा एक ही मकसद है कि ,मैं हिन्दू धर्म के ठेकेदारों से पूछना चाहता हूँ कि रावण महान जैसे महा विद्वान, शीलवान व्यक्तित्व का जिसने सीता का अपहरण तो किया पर, कोई शील भंग नहीँ किया, ऐसे नारी को सम्मान देने वाले रावण का दहन आखिर क्यों ? रत्न विचार भगवान से न्याय मिलता तो *न्यायालय नहीं होते। सरस्वती से ज्ञान मिलता तो विद्यालय नहीं होते। दुआओ से काम चलता तो औषधालय नहीं होते। बिन काम किये भाग्य चमकता तो कार्यालय नहीं होते। मंदिर धर्म के दलालों की *निजी दुकान* है, जो कि कुछ *विशेष जाती* के लोगो को ही फायदा पहुँचाने के लिए है। वहाँ वही जाते हैं, जो *दिमाग से गुलाम* होते हैं। 
                      इतने पर भी वे नहीं रुकते वाल्कि उपदेश देते हैं कि सोच बदलो, ये है भारत का असली इतिहास , बाकि सब झूठ है । इस पोस्ट के अन्दर दबे हुए इतिहास के पन्ने है। जिसमें *मूलनिवासी द्रविड कौन है? देवी-देवता कौन है?आर्य कौन है।*द्रविड शब्द सभी ने अपने विद्यार्थी जीवन में अवशय पढ़ा होगा । भारत देश की सभ्यता आर्य और द्रविड लोगों की मिली-जुली सभ्यता हैl*आर्य बाहर से आये हुए लोग है।ये कौन लोग है? कहाँ से आए?भारत में ये लोग है या नहीl इस बारे में इतिहासकार इतिहास में लिखते नहीं। क्यों?  आपको शिक्षा कब से मिली ?और आप कौन से वर्ण में आते है? आप इस जाति में क्यों है? आप का इतिहास क्या था? जिस दिन इनका अध्ययन शुरू करेंगे। आपको उत्तर मिलना शुरू हो जायेगा।


          उनका मानना है कि1500 वर्षो तक चले देवासुर-संग्राम के बाद ही जाति व वर्ण व्यवस्था बनायी।आज ये जाति लगभग 6743 की संख्या में हैl* इसकी लिस्ट गूगलनेट में देख सकते है। *ब्राम्हण, क्षत्रिय,वैश्य की कोई जाति नहीं होतीl उनका सिर्फ वर्ण ही होता है। जैसे शर्मा, दुबे, चौबे, श्रीवास्तव ,द्विवेदी इनके गोत्र है जाति नहीं*देवासुर-संग्राम में जो लोग लड़-भीड़ कर जंगल में शरण लीl और युद्ध जारी रखाl वो वन (आदिवासी) ST कहलाये ,और जो लोग लड़-भीड़ कर हार कर वही समाज के बाहर रहने लगे वो SC कहलायेI और बाकि  कहलायेl जिनमें अन्य (पिछड़ा वर्ग) OBC आता है।* जिसने जैसा संग्राम किया उसे उतना ही घृणित कार्य दिया गया। *रामायण, महाभारत ,चारो वेद ,उपनिषद,पुराण उसी समय के लिखे गए ग्रन्थ है। इस प्रकार जातियाँ द्रविड की सामाजिक एकता तोड़ने के लिए बनायी गयी और देवी-देवता धार्मिक गुलाम बनाने के लिए बनाए गए।* *हम देवी-देवता के रूप में सभी आर्यों की पूजा करते हैl ये सारे देवी-देवता झूठे(false) है। यह सत्य होता तो पुरे विश्व में देवी-देवता मानतेl भारत में ही क्यों?* इसप्रकार *शिक्षा का अधिकार ब्राम्हण ने ले लियाl क्षत्रिय ने राज करने का, वैश्य ने धन का अधिकार ले लिया और शुद्र मूलनिवासी को तीनो वर्णों की सिर्फ सेवा करने का काम दिया गया। 
               इसके बाद *महावीर स्वामी ने जाति व वर्ण ब्यवस्था का विरोध किया थाl (583 ईसा पूर्व में) पर ज्यादा सफल नहीं हुए।* फिर *गौतम बुद्ध ने (534 ईसा पूर्व) बौद्ध धर्म जो मानव जाति का प्रकृति प्रदत धम्म को खोजाl जो शाश्वत धम्म है। जिसने पुरे विश्व के मानव जीवन का कल्याण खोज निकालाl जाति व वर्ण व्यवस्था को लगभग समाप्त कर दिया था। गौतम बुद्ध के बाद मौर्य वंश में चन्द्रगुप्त मौर्य अशोकने बौद्ध धर्म को नई उचाई दीl अशोक के पुत्र-पुत्री ने कई देशो में बौद्ध धम्म का प्रचार-प्रसार कियाl*मौर्य वंश के अंतिम बौद्ध राजा बृहदस्थ ने गलती कीl उसने सेनापति के रूप में ब्राम्हण पुष्यमित्र शुंग को घोषित किया। शुंग ने सभी ब्राम्हणो को सेना में भर्ती कर दिया और सेना के सामने अंतिम बौद्ध राजा बृहदस्थ की हत्या कर दीl और 84000. स्तूप तोड़ दिए गए। पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल 32 वर्ष (184 ईसा पूर्व -148 ईसा पूर्व)है। लाखो बौद्धो को काट दिया गया ।एक बौद्ध सिर काटकर लाने का इनाम 100 नग सोने के सिक्के रखा गया। सारे बौद्ध ग्रंथ घर से खोज-खोज कर जला दिए गए। इसप्रकार जिस देश में बौद्ध धम्म ने जन्म लिया उस देश से गायब हो गया। आज भारत में जो भी बौद्ध ग्रंथ, त्रिपिटक लाये गए वो सब अन्य देशो से लाये गए है। बादमें *पुष्यमित्र शुंग ने मनुस्मृति लिखीl जिसमें शुद्रो के सारे मानवीय अधिकार छीन लिए गए। रामायण, महाभारत को फिर से नए ढंग से नमक मिर्ची लगाकर लिखा गया। तब से 2000 साल तक शुद्र (SC/ST/OBC) को शिक्षा और धन का अधिकार नहीं मिला थाl
         इस बीच अनेको संत कबीर,गुरुनानक,रविदास,गुरु घासीदास ,और अनेक महापुरुष हुएl जिन्होंने भक्ति मार्ग से लोगों को सत्य का अहसास करायाl लेकिन नैतिक शक्ति-शिक्षा ,राजनितिक शक्ति - वोट देने के अधिकार ,सैनिक व शारीरिक शक्ति-कुपोषण के कारण क्षीण हो गया थाl *ब्राम्हण, पेशवाई में अचूतो की स्थिति अति दयनीय हो गयी थीl इस समय अचूतो को गले में हांड़ी और कमर में झाड़ू बांधकर चलना पडता थाl यह 12 वर्षो तक चलाl 1जनवरी 1818 को 500 महार सैनिकों ने 28000 पेशवाई लगभग युद्ध करके ख़त्म कर दीl जिसमें 22 महार सैनिक शहीद हुए थेl* मुग़ल राजाओ ने भी ब्राम्हणों से साठ-गाठ कर भारत को गुलाम बनाया और ब्राम्हणों के मर्जी से शुद्र को शिक्षा नहीं दीl लेकिन जहांगीर के शासन काल में थाॅमस मुनरो आये थेl यहाँ की अजीब स्थिति देखकर वह दंग रह गए ,उसी के बाद डच,पोर्तूगाली,फ़्रांसिसी,अंग्रेज आये और कंपनी स्थापित कर भारत को गुलाम बनायाl 
         थाॅमस मुनरो ने सबको शिक्षा देना शुरू कियाl जिसमें पहले व्यक्ति महात्मा ज्योतिबा फुले ने शिक्षा पायीl जो की माली जाति के अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैl शिक्षा पाने के बाद उन्होने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को भी पढायाl इसप्रकार सावित्रीबाई फुले सवर्ण महिला ,शुद्र महिला ,अतिशुद्र महिला में शिक्षा पानेवाली पहली महिला बनीl* ये आर्य सवर्ण लोग अपनी पत्नी को भी शिक्षा नहीं देते, क्योंकी उनकी पत्नी भी द्रविड महिला ही है। इसलिए कहा गया है *ढोल ग्वार शुद्र , पशु , नारी ये सब है ताडन के अधिकारीl शुद्रो को शिक्षा 19वी सदी में 1840 के आसपास ही मिलना शुरू हुआl* सारी क्रांति शुद्रोने(द्रविड) ब्रिटिश शासनकाल में ही कीl *रामास्वामी पेरियार , डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवनकाल में कितनी छुवाछुत थीl किसी से छुपा नहीं है। डाॅ.आंबेडकर अछूत समाज में पहले व्यक्ति है, जिन्होंने देश-विदेश से अनगिणत डिग्रीयाँ हासिल कीl* *डाॅ.आंबेडकर साहब जैसे संघर्ष आज तक किसी ने नहीं किया। अछूत कहे जाने वाले अस्पृश्य समाज को तालाब का पानी पीने का ,मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं थाl चवदार तालाब का पानी पीने का सामूहिक प्रयास डाॅ.आंबेडकरने पहली बार किया ।बाबा साहब ने कई सभाए ली,कई समितियों का निर्माण किया । *25दिसंबर 1927 को मनुस्मृति का दहन किया गयाl यही वह ग्रंथ है, जिसमें शुद्रो को नरक सा जीवन जीने के लिए तानाशाही आदेश जारी किये गए।* देश स्वतंत्र हुआ ।संविधान लिखने का अवसर बाबा साहेब को मिलाl आज अचूतो को ,शुद्रो को ,महिलाओं को भी अधिकार मिले है, इसे SC/ ST/OBC/मायनॅरिटी माने या न माने ये उनके ऊपर निर्भर है।हर जरुरी अधिकार सविधान में डाले गए है।बाबसाहेब ने संविधान लिखकर मूलनिवासी को आधी आजादी दी गयी है और आधी आजादी जिस दिन हमारे  भाई एक हो जायेंगे उस दिन सम्पूर्ण आजादी मिलेगी।आज व्यापार में 95%, शिक्षा में 75%, नौकरी में 75% ,जमीन में 90% इनका ही कब्ज़ा है। भाईयों जरा गौर करो SC/ST/OBC/Minirity के लोग कितने % व्यापार में हाथ-पाव जमाये हो''67 साल के बाद आज जैसे ही बीजेपी सत्ता में बहुमत से आई है। गौर कीजिये क्या हो रहा हैl धर्म-धर्म रट रही हैl भारत को हिंदुस्तान करना चाहते है।  ऐशी बाते इनके मंत्री बोल रहे है ,साध्वी, नाथूराम गोडसे देशभक्त हैl जो आपके राष्ट्रपिता को तीन गोली ठोकता है।  2021तक सबको हिन्दू बनाने की धमकी दिये जा रहे हैl तो अल्पसंख्यक कहा जायेंगे। इसी कारण ही बाबासाहब ने अल्पसंख्यक को कुछ विशेष अधिकार दिए थेl ताकि बहुसंख्यक इन पर हावी न हो सके।
           विशेष टिप्पणी: इस  पोस्ट में ऐसी और बहुत सारी घृणा फैलाने वाली / आपत्ती जनक बाते लिखी हुई है जिसे मैंने हटा दिया है तथा मूल पोस्ट को अपने पास सुरक्षित रख लिया है।
**बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क
दिनांक4जनवरी2020