विद्या भूषण ठाकुर:  संघर्ष साहस और विद्रोही की प्रतिमूर्ति

विद्या भूषण ठाकुर:  संघर्ष साहस और विद्रोही की प्रतिमूर्ति


कैलाश रावत
छत्तीसगढ़ में बेगारी गुलामी जनसाधारण के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ संगठित होकर आंदोलन प्रारंभ करना उन दिनों ऐसी हिमाकत कर पाना परिकल्पना से परे दुरूह कार्य था तदोपरांत जीवन पर्यंत जिन मूल्यों के लिए ठाकुर विद्या भूषण जी ने संघर्ष किया सत्ता सुख भोग के आकर्षण से  विरह रहकर संघर्ष को जीवन का अपना ध्येय बनाकर अपना जीवन समर्पित कर दिया
ठाकुर विद्या भूषण सदैव समाजवाद की मध्यमवर्गीय विचारधारा के प्रवर्तक रहे उन्होंने अविभाजित मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ लोकतंत्र संप्रभुता पंथनिरपेक्ष मानव अधिकार तथा समाजवादी संरचना की खातिर अपना सर्वस्व निछावर कर दिया पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन को गति और हवा ठाकुर विद्या भूषण  जी संत कवि पवन दीवान ने दी ठाकुर विद्या भूषण और पवन दीवान पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन के सबसे बड़े नेताओं में से रहे
1960 के दशक में वामपंथी विचारों से प्रेरित होकर पार्षद का चुनाव कम्युनिस्ट नेता के रूप में लड़ा और विजय हुई 1972 में समाजवादी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम कौशिक पूर्व सांसद मदन तिवारी के आग्रह पर समाजवादी खेमा में आए और आजीवन समाजवादी रहे
       आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में रहे इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में विधानसभा क्षेत्र डोंगरगढ़गाव राजनांदगांव जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश विधानसभा केसदस्य निर्वाचित हुए उस समय छत्तीसगढ़ समाजवादी खेमे से विधानसभा में सबसे दमदार विधायक विद्याभूषण ठाकुर रहेकेंद्रीय मंत्री स्वर्गीय श्री पुरुषोत्तम कौशिक के बाद विधायक ठाकुर विद्या भूषण जी छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नेता थे उस दौर में उनकी कद काठी का कोई नेता नहीं था
समाजवादी आंदोलन की टूट-फूट और आपसी विवादों से प्रभावित हुए और उन्होंने सदैव अपनी असहमति के अधिकार तथा वैचारिकआजादी को सुरक्षित रखा किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया यही कारण है की दल के अंदर कई बार उनका भारी विरोध भी हुआ
आजकल राजनीति में स्थापित नेता गुलाम कार्यकर्ता  गुलाम नेता चाहते हैं स्वतंत्र चेतना को दबाने का कार्य करते हैं  चूकी ठाकुर विद्याभूषण जी स्वतंत्र चेतना के नेता थे इसलिए आमतौर पर स्थापित नेताओं की पसंद नहीं थे उन्होंने कभी झुकना स्वीकार नहीं किया यदि समाजवादी आंदोलन में टूट-फूट घात प्रतिघात झगड़े नहीं होते तो संभव है श्री विद्याभूषण ठाकुर जी और दूर तक जाते हुए एक संभावनाओं से भरे योग होनहार राजनेता थे परंतु राजनीतिक कुटिलताओ ने उनके अवसर छीन लीये वे उन लोगों में से नहीं थे जो मुंह पर कुछ और अंदर कुछ तीक्ष्ण बुद्धि के आत्मविश्वास से लगे रहते थे उनके व्यक्तित्व में इतनी विशेषताएं थी जो किसी भी व्यक्ति को शिखर पर ले जाती हैं उस दौर में समाजवादी आंदोलन में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और देश की राजनीति में ठाकुर विद्या भूषण का अपना जलवा था लेकिन पता नहीं वे अपने जीवन में बड़े स्थान नहीं पा सके जिसके वह हकदार थे
मध्यप्रदेश विधानसभा में विद्याभूषण ठाकुर की भूमिका आज भी याद की जाती है शायद इतना दबंग कोई विधायक रहा हो उस समय एक किवदंती प्रचलित थी
        सकलेचा के दो दुश्मन
चंद्रमणि और विद्याभूषण
उनकी दड़ता उनकी पहचान उनकी विशेषता थी मैंने कभी उन्हें अपनी दडता स्वाभिमान अपने सिद्धांत से समझौता करते नहीं देखा


1980 में समाजवादी नेता मधु लिमएके पंडारारोड स्थित बंगले पर लोकदल से लोकसभा प्रत्याशियों की बैठक थी ठाकुर विद्या भूषण ने भी राजनांदगांव से लोकदल प्रत्याशी के रूप में टिकट मांगा था क्योंकि मदन तिवारी लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष और सेटिंग एमपी
क्या हुआ तत्काल ठाकुर विद्या भूषण पवन दीवान और डॉक्टर विनायक मेश्राम पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन में शामिल हो गए 
समाजवादी नेता स्वर्गीय श्री विद्याभूषण ठाकुर जी को विनम्र श्रद्धांजलि और शत-शत नमन
*बुघवार बहुमाध्यम समुध