औकात में रहे छत्तीसगढ़ के पत्रकार वर्णा---?

औकात में रहे छत्तीसगढ़ के पत्रकार वर्णा---?
 
बुघवार *स्ट्राइकर
      रायपुर / हिन्दुस्तान में छ्त्तीसगढ़ एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ कानुनी और वैद्यानिक रन्प से कांग्रेस पार्टी की राज्य सरकार है और उसके मुख्यमंत्री हैं भूपेश वघेल ।लेकिन सत्ता और शासन ऎसे हुक्मराणों और नौकरशाहों केइसारे पर चलती है। झ्स गिरोह में कई पूर्व व वर्तमान भारतीय प्रशासनिक सेवा,भारतीय पुलिस सेवा,भारतीय वन सेवा,छ्त्तीसगढ़ प़शासनिक सेवा और छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा के लोग शामिल हैं।जिनके भ्रष्टाचार और तुगलकी आदेर्शों ने पुरे देश मेंनाम रोशन किया है लेकिन सत्ता परिर्वतन के बाद उनके हैासलों में कमी होने के बजाय लगातार वृद्धि हो रही है। इसका असर काग्रेस पार्टी और विशेषकर मुख्यमंत्री की छवि पर भी अब होने लगा है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में जब भी सरकार के मुखिया देश-विदेश के बाहर प्रवास पर होते है , सत्ता का उपयोग-दुरूपयोग करने में चर्चित कुछ अधिकारी कोई ऐसा नया बवाल पैदा कर देते है जिससे मुख्यमंत्री और सरकार की मंशा पर सवालियां निशान लगने लगता है | ऐसा ही एक वाकया पत्रकारों को औकात बताने और उन्हें बन्धुआ बनाकर रखने तथा घमकाने का मामला प्रकाश में आया है i ऐसा तुगलकी आदेश का कितना फाइदा अथवा नुकसान होगा ,इसकी चिंता कोई क्यों करे क्योंकि माफिया से इस गिरोह का अन्योंश्रय सम्बन्ध जो है।हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मुख्य र्साचव आरपी मंडल समेत अन्य अफसरों के अमेरिकी प्रवास के उपरांत  इस गिरोह की कार्यप्रणाली चर्चा का विषय बनी हुई है |


   खबर है कि एनआरसी की तर्ज पर प्रदेश के पत्रकारों , आरटीआई कार्यकर्ताओं और ब्लॉगर पर लगाम कसने के लिए  एसआरजे अर्थात स्टेट रजिस्टर ऑफ़ जनर्लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए है | अब किसी गैंगेस्टर और अपराधियों की तर्ज पर इनकी फाइल पुलिस मुख्यालय में रखी जाएगी | राजधानी रायपुर से लेकर जिला स्तर के पत्रकारों की अब ऐसी फाइल तैयार होगी , जिसमे उनकी चल-अचल संपत्ति और पारिवारिक पृष्टभूमि का पूरा ब्यौरा होगा | खबर के मुताबिक जिले के पुलिस अधीक्षकों के जरिये तैयार होने वाला एसआरजे की फाइल खुफियां चीफ के दफ्तर में होगी | यही नहीं इस फाइल में पत्रकारों के निजी मोबाइल टेलीफोन नंबरों से लेकर दफ्तरों , कार्यस्थल और संपादकों के भी नंबर होंगे | ताकि आवश्यकतानुसार उनकी फोन टेपिंग हो सके | यह भी बताया जा रहा है कि एक पूर्व चीफ सेक्रेटरी सहित भ्रष्टचारअनाचार में लिप्त वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ प्रकाशित-प्रसारित खबरों को लेकर पत्रकारों पर एसआरजे लागू करने के निर्देश दिए गए है |


जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अमेरिकी प्रवास पर जाते ही उन्हें अँधेरे में रखकर और उनके बगैर संज्ञान में लाए यह एसआरजे लागू करने के निर्देश दिए गए है | एसआरजे के तहत उन पत्रकारों पर दबाव बनाया जायेगा या फिर उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जायेगा जो रेरा चेयरमेन और पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड के खिलाफ खबरों का प्रकाशन और प्रसारण करते है  | बताया जाता है कि एसआरजे के तहत पत्रकारों , आरटीआई एक्टिविस्ट और ब्लॉगर के बारे में जानकारी इक्कठा कर उस पर अमल भी शुरू हो गया  है |


  स्टेट रजिस्टर ऑफ़ जनर्लिस्ट 
   लागू करने का कारण 
       
.        बताया जाता है कि समाज कल्याण विभाग में हुए कथित एक हजार करोड़ के घोटाले की सीबीआई जांच के अदालती निर्देश को लेकर कई समाचार पत्रों-पत्रिकाओं , टीवी चैनलों और वेब मीडिया में पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड समेत पार्टी बनाए गए अफसरों के खिलाफ समाचारों का प्रकाशन-प्रसारण हुआ था | यही नहीं समाचार पत्रों में पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में स्काई योजना के तहत करोड़ो रूपये के मोबाइल फोन की खरीदी की उच्चस्तरीय जांच ना कराने को लेकर भी खबरे सुर्खियां बनी थी | खबर के मुताबिक भ्रष्ट्राचार और गड़बड़ी की शिकायतों वाली ऐसी तमाम योजनाओ की तैयारी और क्रियान्वयन में तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड सहित इन नौकरशाहों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में लागू की गई ज्यादातर योजनाओ पर खुद कांग्रेस और उसके नेताओं ने भी सवालियां निशान लगाए थे | यही नहीं रायपुर के जीई रोड में विवेक ढांड और उनके परिजनों की अरबों की संपत्ति के विवाद को लेकर भी कई पत्रकारों ने खबरों का प्रकाशन-प्रसारण भी किया था | अब ऐसे पत्रकारों , आरटीआई कार्यकर्ताओं और ब्लॉगरों पर लगाम लगाने के लिए एसआरजे लागू करने का फैसला किया गया है | संभव है की पत्रकारों एंव लघु समाचार माध्यमों को आर्थिक नुकसान करने का अघोषित आदेश भी दे दिया गया हो।
          इघर एक समाचार वेव के अनुसार विवेक ढांड परिवार के कब्जे में रायपुर सिविल लाइन स्थित संपत्ति के विवाद के दौरान तत्कालीन अख़बारों में प्रकाशित नोटिस की प्रतिलिपि | इस दौरान विवेक ढांड पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव के पद पर तैनात थे | बताया जाता है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी पत्रकारों की इसी तरह की फाइल तैयार करने की कवायत तत्कालीन एडीजी मुकेश गुप्ता ने की थी | उन्होंने कई पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाकर अवैधानिक रूप से दबाव भी बनाया था | खबर.है कि इसी से प्रेरणा पाकर एसआरजे लागू किया गया है |कहना मुश्किल है कि पूर्व मुख्यर्साचव की कानुनी और वैद्यानिकस्थिति क्या है लेकिन खबर के अनुसार विवेक ढांड के निर्देश पर अमल करते हुए कई सरकारी विभागों में अपनी कार्रवाई भी शुरू कर दी है | इसके तहत बिजली विभाग और जिला प्रशासन की टीम ने पत्रकारों और आरटीआई कार्यकर्ताओं के निजी आवासों में दाखिल होकर जमीनों के नापजोक और बिजली मीटरों का जायजा लेना शुरू कर दिया है | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा कर कुछ पत्रकारों और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसकी पुष्टि की है |
      दरअसल छत्तीसगढ़ में कई विवादित अफसर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर प्रकाशित-प्रसारित होने वाली खबरों को लेकर इतने अधिक खिन्न हो जाते है कि वे अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करने में एड़ी चोटी का जोर लगा देते है |  फिर चाहे इससे सरकार की छवि क्यों न धूमिल हो | ऐसा ही मामला उस समय भी देखने मिला जब समाज कल्याण विभाग मे हुए कथित एक हजार करोड़ के घोटाले की जांच को लेकर अधिकारियों के दबाव में राज्य सरकार की ओर से रिव्यू पिटीशन बिलासपुर हाईकोर्ट मे दाखिल कर दी गई थी |बहरहाल मीडिया की आजादी और पत्रकारों के संरक्षण की वकालत करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में एसआरजे लागू होने की चर्चा जोरो पर है।परन्तु यदि संचार माध्यमों की आजादी पर कुठाराघात होगा तो उसकी न केवल निंदा की जावेगी वल्कि खबर राब्ट्रीय स्तर तक फैलेगी ही और विरोघ की लपटों का सर्वाघिक राजनैतिक नुकसान सत्ताघरियों को ही होगा ,इन गिरोहवंद  नौकरशाहों की नहीं?
*बुघवार बहुमाध्यम तंत्र