आयकर छापों  का मकसद  वघेल पर दवाव बनाना था?

आयकर छापों  का मकसद 
वघेल पर दवाव बनाना था?
            
                    कृब्ण देव सिंह
रायपुर।केन्द्रीय आयकर विभाग के दल के द्वारा  राज्य सरकार व सम्बधित आधिकारियों को सुचित किये वगैर छापा मारने की कार्यवाही के कारण छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फ़िज़ा गरमाई हुई है। दिल्ली से बेहद गुपचुप तरीक़े से  रायपुर पहुँचकर आयकर विभाग के दस्ते द्वारा राज्य के दो दर्जन से अधिक रसूखदार लोगों के यहाँ छापे की कार्रवाई करने से मामले ने तूल पकड़ लिया है। राजनीतिक बवाल नहीं मचता यदि छापे राज्य शासन के कुछ उच्चाधिकारियों के यहाँ नहीं पड़ते। चूँकि राज्य सरकार को पूर्व जानकारी दिए बिना श्री वघेल के कुछ विश्वस्त सहयोगी व उच्च अधिकारियों को घेरा गया है ।अत: मुख्यमत्री भूपेश वघेल व कांग्रेस पार्टी इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई व संघीय ढाँचे पर प्रहार मान रही है।मुख्यमंत्री का आरोप है कि छत्तीसगढ में प्रचंड बहुमत से हुई कांग्रेस की जीत से भाजपा अभी भी बौखलाई हुई है। आयकर विभाग का छापा इसी बौखलाहट का परिणाम है ताकि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बने। संभवतः इसीलिए उन्होंने
   केन्द्रीय विभागों की संयुक्त कार्रवाई की खबर मिलने के बाद आनन-फ़ानन में  प्रतिक्रिया व्यक्त की।  इससे यह ध्वनि निकली कि सरकार को सिर्फ अफ़सरों के यहाँ हुई जाँच पड़ताल पर आपत्ति है। स्थानीय पुलिस को परे रखकर दिल्ली से सीआरपीएफ़ को साथ में लेकर छापे की कार्रवाई राज्य के मामले में हस्तक्षेप है जिसे मुख्यमंत्री ने दो मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र में रेखाकिंत किया है। तीन पेज के इस पत्र में बघेल ने प्रधानमंत्री से आयकर कार्रवाई में हस्तक्षेप की अपील की है। छापों में केन्द्रीय  बल के इस्तेमाल को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया है कि यह कार्रवाई एक ओर राजनीतिक प्रतिशोध है तो दूसरी ओर संघवाद के मूल सिद्धांत के विपरीत भी।


     प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा देने वाले इस मामले  की शुरूआत 27 फ़रवरी की सुबह हुई जब  दिल्ली से सौ से अधिक आईटी अफसर पूरी गोपनीयता बरतते हुए विशेष विमान से रायपुर आए तथा करीब दो सौ सीआरपीएफ़ के जवानों के साथ अलग-अलग टुकड़ियों में बँट गए।  अलग-अलग समूह ने रायपुर, भिलाई और बिलासपुर में छापे मारे व दस्तावेज़ों की जाँच शुरू की । इस टीम में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ( सीबीडीटी ) के अफसर भी थे। टीम ने राज्य के पूर्व मुख्य सचिव व वर्तमान में रेरा ( रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट ) के चेयरमैन विवेक ढांड, मेयर एजाज़ ढेबर , उनके कारोबारी भाई अनवर ढेबर , मेयर के क़रीबी पूर्व पार्षद अफ़रोज़ अंजुम , आईएएस अनिल टुटेजा ,उनकी कारोबारी पत्नी मीनाक्षी टुटेजा ,शराब ठेकेदार अमोलक सिंह भाटिया , सीएम भूपेश बघेल के सचिवालय में पदस्थ उप सचिव सौम्या चौरसिया , आबकारी विभाग के ओएसडी ए पी त्रिपाठी , व्यवसायी कमलेश जैन ,आबकारी ठेकेदार संजय दीवान ,प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक सिंघानिया , डा. ए फ़रिश्ता व आरडीए के पूर्व चर्चित अधिकारी व व्यवसायी गुरुचरण सिंह होरा के यहाँ जाँच-पड़ताल की। इनमें से प्राय: सभी ने जाँच कर्ताओं के साथ सहयोग किया। केवल उप सचिव सौम्या. चौरसिया ही कुछ समय के लिए अंडर ग्राउंड रहीं फलत: उनके भिलाई स्थित आवास को सील कर दिया गया। बाद में वे सामने आईं। जाँच-पड़ताल की कार्रवाई तीन-चार दिन तक चली।
       छत्तीसगढ के अलग राज्य बनने के बाद पोलिटिकल फ़ंडिग व भारी भरकम आयकर चोरी के संदेह में छापे की यह सबसे बडी घटना है।सनसनीखेज घटनाक्रम में इन सभी के घरों,व्यव्सायिक पारिसरों और कार्यालयों पर आयकर अधिकारियों ने दबिश दी। आयकर विभाग के साथ केन्द्रीय अन्वेषण व्यूरों,केन्द्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड,वित्त मंत्रालय आदि के अघिकारी छापामार दल में शामिल थे।प्रारंभिक पड़ताल के बाद सेन्ट्रल  बोर्ड आफ डायरेक्टर टैक्स कमिश्नर व अधिकृत प्रवक्ता सुरभि अहलुवालिया ने मीडिया को मोटी-मोटी जानकारी  दी। इसके अनुसार जाँच में करीब 150 करोड़ के बेनामी लेनदेन का पता चला है जिसमें कर्मचारियों के नाम से खाते खोलकर करोड़ों का लेनदेन करने, हवाला , शैल कंपनियों में निवेश व बडी मात्रा में नगदी बरामद हुई है। हर माह शराब व माइनिंगका पैसा अफसरों की जेब में में जाने का भी दस्तावेज़ों में उल्लेख है। बताया गया कि वास्तविक  आँकड़े  जाँच पूरी होने के बाद ही सामने आयेंगे जो इससे कही अधिक हो सकते हैं।


     राज्य में आयकर छापे ऐसे समय पड़े जब राज्य विधान सभा का सत्र चल रहा है। जब यह खबर आम हुई कि सरकारी मुलाजिम रेरा चेयरमैन विवेक ढांड, आईएएस अनिल टुटेजा, आबकारी ओएसडी त्रिपाठी व उप सचिव सौम्या चौरसिया भी छापे की जद में आए हैं तो सरकार व प्रदेश कांग्रेस एकदम चैतन्य हो गई क्योंकि इसकी आँच प्रदेश भर में महसूस की जा रही थी। प्रारंभ में  प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने इसे आयकर विभाग की रूटीन कार्रवाई बताते हुए कहा था कि छापे के दायरे में वे अफसर आए हैं जो भाजपा शासन में मलाईदार पदों पर थे लेकिन बाद में उनके सुर बदल गए। दरअसल छापे की गंभीरता का अहसास होते ही मुख्यमंत्री ने मोर्चा संभाला और सरकार सहित समूची प्रदेश पार्टी ने केन्द्र सरकार को घेरते हुए इस कार्रवाई को बदले की भावना से प्रेरित बताया। सरकार  की बदहवासी का आलम यह था कि बजट की तैयारी की दृष्टि से कैबिनेट की 28 फ़रवरी को पूर्व निर्धारित बैठक रद्द कर दी गई और मुख्यमंत्री दिल्ली रवाना हो गए। खराब मौसम की वजह से उन्हें रायपुर वापस लौटना पड़ा पर अगले दिन वे पार्टी हाई कमान से चर्चा करने फिर दिल्ली गए। इसके पूर्व , 27 फ़रवरी को ही मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों व पार्टी पदाधिकारियों ने राजभवन पहुँचकर राज्यपाल को ज्ञापन दिया। कांग्रेस ने विशाल धरना प्रदर्शन किया व आयकर दफ़्तर की घेराबंदी भी की । सभी नेताओं का एक ही सुर था कि छत्तीसगढ में विधान सभा सहित सभी चुनावों में कांग्रेस की बंपर जीत को केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार पचा नहीं पा रही है। वह बदले की भावना से ग्रस्त है तथा छापों के जरिए दहशत फैलाकर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है।


      दरअसल मुख्यमंत्री की परेशानी यह थी कि आयकर छापे की कार्रवाई जिनपर हुई उनमें से अधिकांश की भाजपा  तथा जोगी शासन में तुती वोलती थी और भूपेश बघेल के भी विश्वस्त हो गये है। खी सही कसर मुख्यमंत्री की सर्वाघिक भरौसेमंद उपसचिव श्रीमती चौरसिया व प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल के वयवसायी पुत्र को भी लपेटे में लेकर निकाल दी गई। यह किरकिरी भी थी और सरकार के प्रति जनता के विश्वास पर चोट भी। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सुलझे हुए  नेता है । उन्होंने अपनी राजनीतिक सोच व कार्यशैली से विशिष्ट छवि बनाई है लिहाजा यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे कोई ऐसी बात कहेंगे जो गले नहीं उतरेगी । चूँकि यहाँ सरकार की साख का सवाल था लिहाजा अप्रत्यक्ष ही सही, अपने अधिकारियों के बचाव में उन्हें आगे आना ही था। इसमें भी शक नहीं जिस तौर-तरीक़े से छापामार कार्रवाई हुई वह यह राय बनाने के लिए पर्याप्त है कि एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की गई जिसमें राजनीतिक प्रतिशोध और घमकाने की बू आती है ?इसीलिए उन्होंने इस  कार्यवाही को  कार्रवाई को राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की प्रयास बतलाने में कोई देरी नही की ।हलांकि कांग्रेस सरकार भारी बहुमत से सत्ता में है अत: अगले चुनाव के पूर्व कोई भी राजनीतिक साज़िश उसे बेदख़ल नहीं कर सकती ।


       आयकर विभाग की केन्द्रीय दल द्वारा छापा मारने की कार्यवाही का सत्तादल में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई।इसके विरूद्ध कांग्रेस पार्टी ने रायपुर के गांघी मैदान में सभा की और आयकर विभाग के कार्यालय का घेराव किया।प्रदेश कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए छापे मारे गए हैं।दरअसल पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री डा० रमन सिंह  के खासमखास रहे पूर्व नौकरशाह अमन सिंह और उनकी पत्नी यासमिन सिंह शामिल हैं।इसे लेकर प्रदे१ा में कांग्रेस और भाजपा के मध्य वाक्ययुद्ध जमकर हुआ।हलांकि  पूरे मामले में केवल भाजपा के प्रादेशिक नेताओं ने ही सरकार व कांग्रेसी नेताओं के आरोपों का जवाब दिया। इस छापे के एक पक्ष को राज्य सरकार पर दबाव बनाने की गरज से राजनीतिक मुहिम की दृष्टि से भी देखा जा सकता है। इसके दो बडे कारण है। पहला यह कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राष्ट्रीय व राज्यीय मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर जितने आक्रामक हैं उतना किसी गैर भाजपा शासित राज्य का कोई मुख्यमंत्री नहीं। दूसरा कारण है उन भाजपा नेताओं व अधिकारियों को कवच देना जो जाँच के दायरे में हैं। बघेल सरकार ने सत्तारूढ़ होते ही रमन सिंह के 15 वर्षों के शासन के दौरान किए गए करोड़ों के विभिन्न घोटालों का कच्चा-चिट्ठा निकालकर जाँच शुरू करवाई जिनमें से कुछ मामले अदालत में है। जिनके खिलाफ प्रकरण दर्ज है उनमें प्रमुख हैं रमन सिंह , उनके बेटे अभिषेक सिंह , दामाद डाॅ. पुनीत गुप्ता , प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह व निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश गुप्ता। आयकर छापे को इन प्रकरणों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अब यह देखने की बात है कि कांग्रेस सरकार इन मामलों को निपटाने में अधिक तेजी दिखाएगी या रफ़्तार सुस्त कर देगी? हलाकि देखना दिलचस्प होगा कि छापे के असर का क्या और कैसा होगा जिसका राजनीतिक व प्रशासनिक आंकलन  आने वाले दिनों में होगा।
       मुख्यमंत्री भूपेश वघेल की  सरकार,प्रशासन और संगठन पर एक तरफा पकड़ बन गई है ।पिछले दिनों कांग्रेस को शहरी और ग्रामीण निकायों में भी जबरद्स्त सफलता मिली है,उससे वे एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं।यह भी सच है कि जिस तरीके से विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने एक वर्ष पहले जीत हासिल किया था वह दो अन्य कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और मध्यप्रदेश के मुकावले बेहद शानदार था।शुरू से ही श्री बधेल ने भाजपा एंव आरएसएस के खिलाफ बेहद आक्रामक रवैयाअपनाया हुआ है।इसीलिए प्रदे१ा कांग्रेस् अध्यक्ष मोहन मरकामने कहा है कि15वर्ष पुरानी भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के कारण.वह कांग्रेस से वैखलाई हुई है  और प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीयत में खोट है।तो मुख्यमंत्री भूपेश वघेल ने पुरे मामले को बदलापुर क़ी राजनीति करार दिया है।
*बुघवार बहुमाध्यम समुह