छापे में क्या मिला?क्या गया?क्या हुआ?

छापे में क्या मिला?क्या गया?क्या हुआ?
     
                  बुधवार*स्ट्राइकर
         रायपुर१मार्च२०२०.छ्त्तीसगढ़ में लगभग पांच  दर्जन  वहुचर्चित सत्ता के लाभार्थी रसुरवदार हैं जिन्हें  पांडव गैंग कहा जाता   है तथा उनके मूल जन्मदाता प्रदेश के प्रथम छत्तीसगादिया मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी जी है।उन्होंने अपने कार्यकाल में पांडव गैग को भरपुर शिक्षण,प्रशिक्षण और संरक्षण दिया।वे अमरवेल की तरह भाजपा और अब कांग्रेस के शासनकाल में फलते फुलते जा रहे थे लेकिन उन्हें आयकर छापे से जोर का क्षटका घीरे से देने का कार्य सम्पन्न होने को।इनमें में से कुछ के यहां पड़ी आईटी रेड का इनपुट ईडी और आईबी ने दिया था।एक बानगी इन नामों को पढ़ें तो आपको ऐसा लगेगा कि यह सभी सत्तर के दशक की किसी फिल्म में डॉन के वह गुर्गे हों जो अफरातफरी में लीन हों?पर नहीं यह सभी विशुद्ध सत्ता के लाभार्थी रसुखदार  हैं?सत्ता किसी की भी हो पांडव अपनी योग्यता सावित करने तत्काल पहुंच जाया करते हैं।क्योंकि इन्हें मालूम है क़ि कबऔर कैसे काम तमाम होती है।
      करोड़ों के समाज कल्याण और नान घोटाले में लिप्त  बहुचर्चित हुक्मरान जीवन भर डा०रमन सिंह की मेहरबानी से अच्छी पोस्टिंग पाते रहे ।परंतु सत्ता परिवर्तन होते ही अमन सिंह को कोसते हुए वर्तमान सत्ता से यह कहते हुए चिपक गए की इतनी दहशत में जीते थे ?और वाह रे बर्तमान सत्ताघीश ,उन्हें जबदस्त आत्मसात करने में तनिक जोगी जी के अनुभव से ही कुछ सीख लेते।खैर ! अभी भी वक्त है?जोगी काल में जग्गी हत्याकांड से चर्चित ढेबर परिवार को शहर में सूतक नाम जाननेवाले / पुकारने वाले बहुत है  ? जानकारों का कहना है कि यह नाम जिस किसी से जुड़ता है ,उसका डूबना तय माना जाता है। 


जानकारों को समक्ष में ही नही आया कि भाजपा शासनकाल के कुख्यात नौकरशाह अमन सिंह का ख़ास गुरुचरण सिंह होरा रमन काल में बीजेपी नेता कहलाता था, लोकिन यह कब कहाँ और कैसे अचानक कांग्रेस नेता बन गया यह इसकी परछाई को भी पता नहीं चल पाया।
त्रिपाठी वैसे तो बीएसएनएल का कर्मचारी है,परंतु आबकारी का ओएसडी बन कर पर्दे के सामने और पीछे शराब की काली कमाई का खेल इसी को पता है।कहते हैं इसने अपना पूरा परिवार विदेश शिफ्ट कर दिया है।
        छापे में मिला क्या?
घुमंतू रिपोर्टर के अनुसार छ्त्तीसगढ़ में गिनती के कुछ लोगों को छोड़कर  शहर में एक भी शख्स ऐसा नहीं मिला जो कि इस छापे से मातम मना रहा हो,माहौल ठीक वैसी ही है जैसा 2003 में जोगी की तथा 2018 में रमन की सरकार की थी।
           बताया / चर्चा हैं कि छापे में भारी मात्रा में नगदी के अलावा विदेशी मुद्रा बरामद की गई है।बेनामी जमीनों तथा अन्य संपत्तियों के दस्तावेज़।एक डायरी जिसमें बांटे जा रहे काले धन का विवरण नामों सहित है।हार्ड डिस्क जिसमें कॉल डिटेल्स हैं।हवाला गांजा सट्टे के कारोबार का सम्पूर्ण विवरण के अलावा अवैध हथियार तथा बिना बिलिंग के भारी मात्रा में इम्पोर्टेड सामान।विदेश यात्राओं का डिटेल तथा वहां पर किये गए हेवी इन्वेस्टमेंट का सबूत।देश भर में CAA NRC के विरोध के लिए प्रतिबंधित संगठनों को की गई फंडिंग का डिटेल।
खैर,सत्य क्या है ?सब अटकलेहै या सत्य?इन्तजार करना पडेगा।
बुघवार बहुमध्यम तंत्र