ऑपरेशन लोटस का पहला चरण पूर्ण

ऑपरेशन लोटस का पहला चरण पूर्ण


कृब्ण देव सिंह
 भोपाल। मध्यप्रदेश का सियासत पर कब्जा जमाने औरकमलनाथ सरकार को सत्ता से वेदखल करने के लिए भाजपा द्वारा चलाया गया ऑपरेशन लोटस का पहला चरण सफलता पूर्वक पूर्ण हो गया है। और दुसरे चरण की पटकथा लिखी जा चुकी है।दुसरे चरण की पटकथा में महत्वपूर्ण भू|मिका विधानसभा अध्यक्ष को निभाना है । इसके वाद राजभवन में आपरेशन पूर्ण होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया । उन्होंने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी  को भेजा। इसके बाद दिल्ली से वे सीधे भोपाल स्थित प८कथा अपने राजमहल पहुंच गए हैं ।आज भोपाल के महाराज माधवराव सिंधिया की 75 वी जयंती है। इस मौके पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया अधिकृत रन्प से घोषणा करेंगे
         दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। इसी बात का फायदा भाजपा के रणनीतिकारों ने उठाया। पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने उनसे मुलाकात की और इस संदर्भ में बात भी की मगर बात बनी । नहीं इसके बाद भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस कार्य के लिए अपने रणनीतिकारों को लगाया। इस पूरे ऑपरेशन को नाम दिया गया ऑपरेशन लोटस। आखिरकार ऑपरेशन लोटस सफल रहा और प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के बाद पिछले 18 सालों से कांग्रेस में डटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया।


यह तो झांकी है आधा दर्जन बड़े नेता अभी बाकी हैं
उधर अपनी सफलता से उत्साहित भाजपा के रणनीतिकारों ने कहा कि यह तो झांकी है, अभी आधा दर्जन सीनियर लीडर बाकी है। बताया यह भी जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के आधा दर्जन वरिष्ठ नेता पार्टी कि मौजूदा रणनीति से नाराज हैं। तो वहीं कुछ राहुल गांधी के व्यवहार से भी पीड़ित बताए जा रहे हैं ,और यह सभी लोग आंतरिक तौर पर भाजपा के टच में हैं। यह भी हो सकता है कि बहुत जल्द यह लोग भी कांग्रेस को बाय-बाय कह दे।


अहमदाबाद राजघराने ने की मध्यस्थता
ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस्तीफा देने के लिए उनकी ससुराल अहमदाबाद राजघराने के कुछ लोगों को भाजपा ने तैयार किया । उन्होंने ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़ने के लिए मनाया । इसके बाद आज आखिरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेसका हाथ छोड़ दिया।
    हाथ से गई सत्ता ....
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा क्या दिया, कमलनाथ सरकार अनाथ हो गई । यह तो तय ही था कि कमलनाथ की वजह से कांग्रेस में जिस तरह आंतरिक विद्रोह की आग धधक रही थी एक ना एक दिन कांग्रेस का हाथ उसमें जलना ही था। यह कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश में हाथ से सत्ता जाने की वजह कमलनाथ ही थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने में कमलनाथ का हाथ था । इससे इनकार नहीं किया जा सकता वह मुख्यमंत्री होकर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुना सीट को नहीं बचा सके। 
मध्यप्रदेश में 1 सप्ताह के अंदर जिस तरह का राजनीतिक उथल-पुथल हुआ उसे एक बात साफ है कि आने वाले समय में अब कांग्रेश मध्यप्रदेश में कभी भी नहीं उठ पाएगी । इस नए सियासी घटना से पर्दे के पीछे से जो खबर आ रही है,उससे जाहिर है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी से राज्यसभा भेजे जाएंगे और वे केंद्र में मंत्री बनाए जा सकते हैं।  ऐसा भी हो सकता है कि वे मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम बने या फिर सीएम अथवा उनके किसी करीबी को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। और शिवराज सिंह चौहान यदि सरकार बनाते हैं तो जाहिर सी बात है कि कांग्रेस के 20 विधायकों ने जो इस्तीफा दिया है ,उनका इस्तीफा मंजूर होने पर एक बार फिर चुनाव होगा और वे मंत्री बनाए जा सकते हैं।
 ऐसा भी हो सकता है की कांग्रेस से और लोग इस्तीफा दे और एक नया दल बनाकर बीजेपी का समर्थन कर दें। दल बदल का कानून कहां तक इस प्रक्रिया को सहयोग करेगा,अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।


 ऐतिहासिक सियासी घटना चक्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी  के लिए महाराज बन गए और सत्ता में शिवराज की वापसी हो गई।


 बीजेपी से विंध्य क्षेत्र के किस विधायक को मंत्री पद मिलेगा अभी से जोड़-तोड़ की सियासी प्रक्रिया शुरू हो गई है। 40 साल बाद सिंधिया ने कांग्रेस को बाय-बाय किया और बीजेपी को हेलो हाय बोला । इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि अमित शाह इस पूरे सियासी घटना के शाह बनकर उभरे हैं।
एक आशंका है कि आने वाले समय में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर सकती है। रिपु"
     लोकसभा का चुनाव हारे हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ नया नहीं कर रहें है बल्कि उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया ने आज से 53 वर्ष पहले जो किया था उसे दोहरा रहे हैं ।अंतर सिर्फ इतना है कि उस समय विजया राजे सिंधिया ने बगैर किसी दल में रहते हुए  अपने खजाने के दम पर ,व्यक्तिगत बलबूते पर मध्यप्रदेश की सरकार को गिरा दिया था वो भी उस समय ऐसा कारनामा तब किया था जब भारतीय राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले डीपी मिश्रा  जैसी शख्सियत मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री था।इनकी सरकार गिरने के बाद गोविंद नारायण सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे ।इसके  कुछ समय बाद विजयाराजे  तत्कालीन जनसंघ में शामिल हो गई थी जो वर्तमान में भाजपा है ।