हाँ मैं कांग्रेसी हूँ ,पर क्यूँ हूँ ?

हाँ मैं कांग्रेसी हूँ ,पर क्यूँ हूँ ?
     कृब्ण देव (केडी) सिंह
        भोपाल23मार्च2020 आज जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद एक नया टकराव हर कांग्रेसी के हृदय और मस्तिष्क में मचा हुआ है .कुछ लोगों का धर्म संकट झ्सलिए है किं एकतरफ कांग्रेस की नीतियों सिद्धान्तों से दशकों का जुड़ाव दूसरा सिंधिया से व्यक्तिगत जुड़ाव निश्चित ही जो सिंधिया को अपना प्रेरक मानते रहे है उनका कठिन समय है ।लेकिन मैं उन पुरखों के विरासतों का उत्तराधिकारी हूँ जिन्होने आजादी की ध्युदध में निस्वार्थ योगदान दिया और कांग्रेस का क्षंड़ा  फहराते रहे।मैं उनका तीसरी पीड़ी हूँ।कांग्रेस से सैद्धांतिक नैतिक जुड़ाव से कांग्रेसी हूँ।।। भले परिस्थितियों वश कहो या अन्य दुकानदार टाइप नेताओ से विचार भिन्नता के चलते  राजनीति और पत्रकारिता मे सक्रिय हूँ। और  अभी तक रहा हूँ ब आगे भी रहुगा।
      मुझे याद है जब मैं रायपुर जो अब छत्तीसगढ़ की राजघानी है लेकिन .1977में मध्यप्रदे१ा का एक प्रमुख शहर था,के शासकीय अभियांत्रिक एंव प्रौद्योगिक महाविद्यालय में अभियांत्रिकी की शिक्षा ग्रहण कर रहा था ।तभी मेरी आजतक की सबसे अधिक प्रिय इंदिराजी की गिरफ्तारी हुई ।मेरे पिता बंगाल रेजीमेंड़ से सेवानिवृत होकर भिलाई इस्पात सयंत्र में कार्यरत थें।उनकी दुर्ग लोक सभा के संसद व पूर्व केन्दीय मंत्री स्व० श्री चन्दुलाल चन्द्राकर से सामाजिक निकटता थी ।उनके नेतृत्व में दुर्ग_ भिलाई में जबरदस्त आंदोलन हुआ ,गिरफ्तारी हुई ।मैं भी रायपुर के शास्त्री चौक में जिला कांग्रेस के द्वारा इन्दिरा जी की गिरफ्तारी के विरोघमें आयोजित घरना और सड़क जाम आन्दोलन में भाग लेने से अपने आपको नहीं रोक सका। इस तरह मेरा ग़ैर विधिवत तरीके से कांग्रेस में प्रवेश आप मान सकते है ।लेकिन विधीवत कांग्रेस की सदस्यता पूर्व मंत्री व रायपुर ग्रामीण के विघायक सत्यनारायण शर्मा जी की पहल  व हस्ताक्षर से1978में ग्रहण किया ।तब से लेकर आज दिनांक तक विधीवत कांग्रेस पार्टी का सक्रिय सदस्य हूँ।
       आज भी मप्र के पुराने कांग्रेसी याद करते है लेकिन कभी समझौता ना करने की जिद्द और सैद्धांतिक दृढ़ता का रक्त वही था ।तो मैं भी उसी राह पर चल बैठा ।अब इसे व्यक्तिगत दुर्भाग्य ना कहकर कांग्रेस का दुर्भाग्य कहूँगा की गुटबाजी,क्षेत्रवादी और जातिवादी राजनीति में उलझी कांग्रेस ने कभी मुक्षे अवसर नहीं दिया।पिछली वार मैने वैशालीनगर से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकिट मांगा था ।मेरे लाख प्रयास के वाद मैं समक्ष गया गया कि  अज्ञात कारणों से मुक्षे टिकट नहीँ मिलेगा और वही हुआ। जिन्हें टिकट मिला वे रिकार्ड मतों से चुनाव हार गये ।जवकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की लहर भी । मराठी में एक कहावत है कि आचवल साहेब आपले सद्गुण कांग्रेस मधे अवगुण आहे यानि आपके सद्गुण कांग्रेस के लिए अवगुण है ।वह भी सभी राजनैतिक सामाजिक संगठनों नेताओ से व सम्बन्धो के बावजूद। 
        मेरी सार्वजनिक जीवन यात्रा भी कुछ लोगों से मिलती जुलती है। विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान एआईएसएफ फिर युवक कांग्रेस सभी मे सांकेतिक पदों पर रहा। तारिक अनवर जी के नेतृत्व में रायपुर व भिलाई में ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस में काम फिर कांग्रेस की सेवा की। राष्ट्रवाद राष्ट्रीयता के ऐतिहासिक परिवार में पैदा हुआ तो राष्ट्रवादी पार्टी तो केवल कांग्रेस ही थी ,तो कांग्रेसी था रहा ,अभी तक हूँ।पर कांग्रेस ने मुझे कभी अवसर  नही दिया ताकि अपनी योग्यता सिद्ध कर सकु ।खैर।मैंने टिकिटों के लिए लीलाएं निकट से देखी ।कांग्रेस का छ्त्तीसगढ़ में व्याप्त जातिगत व परिवार का एकाधिकार और क्षेत्रवाद देखा ।छोटे छोटे पंचों को विधायक बनते देखा पर मुझे कुछ नहीं मिला और न ही कोई चुनाव लड़ने काअवसर दिया गया और न ही किसी तरह की अशासकीय सदस्य के रन्प में किसी भी स्तर पर कोईं पद दिया गया।सभी ने मेहनत कराई। मैंने की भरपूर की पर किसी ने भी आजतक कुछ नहीं दिया और डंके की चोट पर कहता हूँ कि मैंने आजतक एक पैसे का व्यक्तिगत फायदा नहीं उठाया ।हाँ इस दौरान मैंने अपने पिता के सेवानिवृत होने पर जो घन मिला उसे बर्वाद जरूर कर दिया।क्योंकि उस पैसे के सहारे रायपुर में मेरा हाई स्टील एलो३ज कारिस्टग का प्रोजेक्ट को  अन्तिम समयः में  उद्योगमत्री स्व० क्षुमूकलाल भेडिया मे रायपुर के तत्कालिन प्रभावशाली नेता राधेश्याम शर्मा उर्फ राधेश्याम कलाभाटिया के कहने पर रद्द कर दिया ।जबकि मैं उन्ही के साथ राजनीति में था।श्री शर्मा का तर्क था कि चुकि मैं बिहारी हूँ और कालेज का छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुका हूँ ,इसलिए मैं गुण्डा हूँ।जबकि मैं जन्म से ही छ्त्तीसगढ़ी हूँ और मेरे पुरे जिवनकाल में भी कहीं भी किसी भी तरह के अपराघ में लिप्त होने सम्बन्धी किसी भी घारा में कोई अपराघ आज दिनांक तक पंजीबद्ध तक नहीं हआ है।
     सन्दर्भ बस युवा विचार मंच का गठन का भी उल्लेख कर दूँ।मैंने भोपाल में स्व० राजीव गॉधी जी की प्रथम उद्वोघन से प्रेरित होकर युवा विचार मंच,मध्यप्रदेश नामक सामाजिक संगठन का विधीवत पजीयन कराया था।इसका शपथ ग़हण समारोह भोपाल के पत्रकार भवन में रखा गया।३स समारोह के मुख्य अतिथि थे स्व० दाऊ साहव श्री अर्जुन सिंह और कार्यक्रम की अध्यक्ष थे   छत्तीसगढ़ के प्रथम मुरन्य मंत्री अजीत प्रमोदकुमार जोगी जी।कार्यक्रम अपेक्षा से अधिक सफल रहा ।समाचार पत्रों में खुब छपा क्योंकि मैं स्वंम पत्रकारिता से मिलने वाला वेतन से अपना पारिवार का पोषण कर रहा था झ्स कारण राष्ट्रीय समाचार पत्रों ने भी भरपुर स्थान दिया।।प्रदे१ा के युवाओं के जबरदस्त समर्थन तत्कालिन युवा हृदय सम्राट पूर्व केन्द्रीय मत्री सुरेश पचौरी व प्रदे१ा युवक काग्रेस अध्यक्ष तथा तत्कालिन मुरन्यमंत्री व कांग्रेस के महासचिव मोती लाल वोरा जी को 
 वर्दास्त नही हुआ।इसलिए युवा विचार मच को युवक काग्रेस के समानान्तर व वगावत करने वालों का फर्जी आरोप लगवाकर  तत्कालिन कांग्रेस अध्यक्ष स्व० राजीव गाँधी जी भ्रमित किया और मेरी सामाजिक संस्था को भंग करवाया।मैने संस्था को भंग करते हुए अपनी प्रातिवद्धता कांग्रेस पार्टी और राजीव जी पर सर्वजनिक रूप से तब भी जताया था और आज भी उसपर कायम हूँ।।
                 अक्सर मुक्षपर लोग जाति और बिहार की वात करने और कभी-कभी जातिवाद ब बिहारीवाद करने का आरोप लगा देते हैं। मुक्षे ऐसे लोगों को न तो कुछ कहना है और न ही ऐसे आरोपों का प्रातिवाद  करना है । क्योंकि मुक्षे गर्व है कि मेरा पूर्वजों का गाँव मगघ ( बिहार) के नालन्दा जिले में है और मेरा सम्बन्ध पूर्व कुर्मी जमींनदार पारिवार से ह्रै।मुक्षे इस वात का भी गर्व है कि मेरे दादा और पिता दोनों स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार रहे और आजादी मिलने के वाद भी सरकार से किसी भी तरह का लाभ नहीं लिया।मेरा जन्म भिलाई में हुआ है तभा रायपुर के शासकीय अभियांत्रिक एंव प्राद्यौगिक महाविद्यालय से स्नातक अभियन्ता तक की शिक्षा प्राप्त किया व वर्ष 1979-80में महाविद्यालय का प्रथम छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर भारी मतों से पुरे पेनल के साथ विजयी रहा।चलते - चलते यह भी वताना आवथ्यक है कि मेरा सम्बन्ध सनातन कश्यप गोत्री सूर्य वंशी शाक्त क्षत्रिय कुर्मी कुल की धमैला( मराठो की विस्थापित) शाखा के बड़दमनियां प्रतिष्ठित किसान परिवार में हुआ है तथा मेरे पिता  आर्मी से सेवानिवृत होकर भिलाई ३स्पात संयत्र के संस्थापक कर्मचारी रहे
             मुक्षे इस वात का भी कतई अवसाद नही है कि मैं राजीव जी की सहमति के वाद भी मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस का अध्यक्ष सिर्फ झ्स लिए नहीं बन पाया क्योकि मेरे विस्द्ध तत्कालिन कांग्रेस के लगभग सभी ब्राम्हण नेता एकजूट होकर विरोघ किया क्योंकि न केवल संयुक्त मध्यप्रदेशका बल्कि छत्तीसगढ़ से पहला कुर्मी जाति का प्रदेश यूवक कांग्रेस अध्यक्ष  होता।खैर। यहाँ यह भी बताता चलू कि मेरे अध्यक्ष नहीं बनने देने की जबरदस्त प्रतिक्रिया वाद में अन्य पिछड़ा वर्ग और विशेषकर मध्यप्रदेश की कुर्मी जाति में हुई। नतीजे में तीन वार के मुख्यमंत्री रहे पं. श्यामाचरण शुक्ल( महासमुन्द) तथा युवा ह्रदयसंम्राट पं सुरेश पचौरी ( भोपाल) से लोक सभा चुनाव भारी मतों से हार गये और रही सही सबक पं सत्य नारायण शर्मा को रायपुर ग्रामीण विघान सभा चुनाव में हार पाकर मिल गया।
        अब सोचता हूँ दुसरों पर जातिवाद और क्षेत्रवादी होने का आरोप लगाने वालों तथा राजनीतिक फायदे क्षुठ और फरेव का सहारा लेकर षडयंत्र करने वालों की असलियत वयान कर दूँ कि आदर्श और सिद्धान्त बघारने बालों में हमाम में कौन नंगा नही है?खैर फिर कभी क्योंकि तब आलेख बहुत लम्बा हो जावेगा ।
                 लेकिन अब मैं भी इस प्रश्न का जवाब ढूंढ रहा हूँ कांग्रेसी तो हूँ पर क्यूँ हूँ ???
*बुघवार बहुमाध्यम समुह