देश का नेता जयप्रकाश
जन्म 11 अक्टूबर 1902 पूर्ण तिथि 8 अक्टूबर1979
       कृष्ण देव सिंह
आजादी के महान योद्धाओं के उत्तर नेहरू युग की पीढ़ी के निर्णायक मूल्यों के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण ही थे डॉ राम मनोहर लोहिया अशोक मेहता मामा बालेश्वर दयाल आदि कांग्रेस के नैसर्गिक विकल्प की तरह हावी रहे इनमें जेपी सबसे लोकप्रिय और प्रखर थे महात्मा गांधी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सत्ता से निरपेक्ष रहकर राजनीति को  दलदल में जाते हुए देखाlलोकनायक जयप्रकाश नारायण का ही प्रयोग है जनता पार्टी के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जन संघ परिवार के तमाम लोग भवन में भारी संख्या में घुस पाए जिसे लोकसभा कहते हैंlभारतीय राजनीति में नेहरू के बाद सबसे प्रखर राजनेता को नेहरू ने बड़ी लाड  में गंभीरता से अपना प्रधानमंत्री पद का उत्तराधिकारी घोषित किया था जयप्रकाश नारायण ने कई बार नेहरु की खिलाफत की संविधान सभा की सदस्यता से भी उनकी अगुवाई में समाजवादियों ने बहिष्कार किया था
1973 / 1974 गुजरात बिहार विद्यार्थियों की नवनिर्माण आंदोलन को आशीष देकर जयप्रकाश नारायण ने 3 वर्ष में कांग्रेस को धूल चटा दीlप्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सड़कें नापना  पड़ी जेपी का करिश्मा था भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देश की तरुणाई में बगावत का सोला भर गए डॉक्टर लोहिया और जयप्रकाश नारायण गिरफ्तारी से बचने के लिए नेपाल भाग गए l
       जयप्रकाश नारायण गिने चुने  नेताओं में गांधी के ग्राम स्वराज के साथ थे पंचायती राज का बेड़ा गर्क होने पर विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में शामिल हो गए चंबल बुंदेलखंड के डाकू का आत्मसमर्पण कराना जैसा क्रांतिकारी कदम भी उन्हीं की देन है जेपी का भारतीय राजनीत से बैराग दुखद परिच्छेद है जेपी जैसी कद काठी का करिश्माई नेता भारतीय राजनीति बेदखल हो गया डॉ राम मनोहर लोहिया चाहते थे जयप्रकाश नारायण गैर कांग्रेस बाद की राजनीति की धुरी बनेl बकौल डॉ लोहिया जयप्रकाश नारायण ज़ी सार्थक भूमिका के लिए भारत की राजनीति के इतिहास को भेद सकते थे दत्त लोहिया के निधन के 10 वर्ष बाद लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने उनकी भविष्यवाणी को सिद्ध कर दिया
            भारत रत्न जयप्रकाश नारायण को आज उनकी जयंती पर शत -शत नमन ।  भारत सरकार ने उनके सम्मान में वर्ष 1980 में डाक टिकट जारी किया था । स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी क्रांतिकारी भूमिका थी । आज़ादी की लड़ाई के महान योद्धा जयप्रकाश नारायण की  क्रांतिकारी जीवन यात्रा के अनेक विस्तृत ऐतिहासिक प्रसंग हैं । आम जनता में 'लोकनायक'  के नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश नारायण ने  70 के दशक में देश में सम्पूर्ण क्रांति का शंखनाद किया था. उनका जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सिताब दियारा ( सारण ) में हुआ था । निधन 8 अक्टूबर 1979 को उनके गृह राज्य बिहार की राजधानी पटना में हुआ ।  भारत सरकार ने उनके निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया था । उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1998 में 'भारत रत्न ' अलंकरण से सम्मानित किया गया था।   पटना के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नामकरण उनके नाम पर किया गया है(Budhwar News)दिनांक11अक्टुबर2019
देश का नेता जयप्रकाश
 • KRISHAN DEO SINGH