कल्पनाशील मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार

कल्पनाशील मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार
                           कृष्ण देव सिंह
              पटना ,7दिसम्बर2019,नीतीश कुमार की राजनीति और उनकी कार्यशैली से आप भले इत्तेफाक न रखते हों, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि वे एक कल्पनाशील मुख्यमंत्री हैं। आम आदमी की परेशानियों को बेहतर ढंग से समझते हैं। उसे दूर करने के उपाय भी ढूंढते रहते हैं। शासन प्रक्रिया में निरंतर सुधार के लिए सचेष्ट रहते हैं।लेकिन इस हिसाब से उन्हें जितनी सफलता मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही।क्योंकि वे नौकरशाही पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं। उनके करीबी भी कहते हैं कि नौकरशाहों को उन्होंने सर पर चढ़ा रखा है। और यही अफसर नीतीश जी के सपनों में पलीता लगा रहे हैं। उनके निर्देशों पर अमल नही होताऔर भ्रष्टाचार चरम पर है।बिना घुस दिये समय पर कोई काम नही होता है क्योंकि  वे चाटुकार अफसरों से घिरे रहते हैं। ये अफसर उन्हें गलत जानकारी देकर उनकी लुटिया डूबोने में लगे हुए हैं।
                 हाल ही में हुआ पटना का ऐतिहासिक जलजमाव इसका ताजा उदाहरण हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा चौपट है। भ्रष्टाचार और अपराध बेकाबू है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की  जारी हुई 2017 की रिपोर्ट इसका खुलासा करती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में देश मे सबसे ज्यादा दंगे बिहार में दर्ज हुए हैं। इनकी संख्या 11,698 है। ये साम्प्रदायिक दंगे नहीं हैं, अपितु भूमि और संपत्ति विवाद की वजह से हुए सामुहिक टकराव हैं। 2016 में भी बिहार इसमें सबसे उचे पैदान पर था। दहेज हत्या और हत्या के मामले में बिहार देश में दूसरे नंबर पर है। 2017 में 2803 लोग विभिन्न वारदातों में मारे गए। 1081 औरतें दहेज की बलिवेदी पर चढ़ा दी गईं।
           नीतीश कुमार राज्य की इन समस्याओं से बखूबी परिचित हैं। वे इससे बाहर निकलने की मंशा भी रखते हैं। इसीलिए उन्होंने भूमि विवाद को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। अधिकारियो को भूमि विवाद को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाने के बार बार निर्देश दिए गए। दहेज के खिलाफ तो मुख्यमंत्री  ने मुहिम ही छेड़ रखी है। लेकिन अफसरशाही मुख्यमंत्री जी के निर्देशों को धत्ता बता धन कमाने में व्यस्त है। आंकड़े बताते हैं कि सरकार की अधिकांश फ्लैगशिप योजनाएं लक्ष्य से बहुत पीछे हैं।
            नीतीश जी की सबसे बड़ी कमजोरी उनका अफसरों पर नियंत्रण न होना है। जिन अफसरों पर वे आंख मूंदकर भरोसा करते हैं, वहीं उनकी बदनामी का कारण बन रहे हैं। भूमि विवाद संबंधी हिंसा के कारण बिहार दंगे के मामले में नंबर एक राज्य बनने का कलंक झेल रहा है। एक समय जिस कानून-व्यवस्था के मामले में नीतीश कुमार की पूरे देश में पहचान बनी थी, उसी कानून-व्यवस्था के कारण आज उन्हें बदनामी मिल रही है। इस बदनामी की वजह बिहार की नौकरशाही है। यही नौकरशाही नीतीश के पतन का कारण भी बनेगी।
                नीतीश कुमार ने नागरिकता संशोधन विधयेक के विरोध की घोषणा की है। लेकिन इस विरोध का स्वरूप  कैसा होगा इसको लेकर संशय  है। क्योंकि क इसके पहले उन्होंने तीन तलाक कानून तथा संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का भी विरोध किया था। लेकिन वह विरोध औपचारिक और दिखावटी साबित हुआ. उपरोक्त दोनों अवसरों पर नीतीश जी की पार्टी के सांसदों ने भाषण विरोध में किया। लेकिन  वोट डालने का अवसर आया तो उन्होंने सदन का बहिर्गमन कर दिया। इस प्रकार उपरोक्त दोनों अवसरों पर जदयू ने भाजपा की मदद की है।
      समाजवादियों का मानना है कि नागरिकता संशोधन विधयेक भारतीय संविधान की आत्मा का हनन है। साथ ही इस विधेयक के विरोध में देश की उत्तरी पूर्वी सीमा पर स्थित सभी आठ राज्योंके नागरिक मोदी सरकार के विरुद्ध बग़ावत की मुद्रा में हैं. पाँच हज़ार किमी से ज़्यादा लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर का यह इलाक़ा है. जबकि उन्हीं में एक अरुणाचल प्रदेश पर तो चीन की नाजायज दावेदारी है. चीन की विस्तारवादी नीति से दुनिया वाक़िफ़ है. सामान्य बुद्धि के मुताबिक़ किसी भी मुल्क का यह प्राथमिक दायित्व है कि वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाए जिसकी वजह से उसके सीमा क्षेत्र के नागरिकों के बीच असंतोष पैदा हो. वह भी ऐसी हालत में जब पड़ोसी मुल्क हमारी सीमा को मान्यता नहीं दे रहा है.मोदी सरकार की काबिलियत इसी से प्रमाणित हो रही है कि एक तरफ़ हमारे मुल्क का पैदाइशी विरोधी पाकिस्तान के साथ जुड़े कश्मीर में संविधान का अनुच्छेद 370 को समाप्त कर वहाँ के नागरिकों में गंभीर स्थिति पैदा कर दिया है. दूसरी ओर नागरिका संशोधन विधेयक के ज़रिए उत्तर-पूर्व के सीमाई इलाक़े में उथल-पुथल पैदा करने पर मोदी सरकार आमादा है।ऐसी हालत में मोदी सरकार का यह कदम देश भक्ति की उसकी समझ पर  सुबहा पैदा कर रहा है! दरअसल एक समुदाय विशेष के प्रति घोर नफ़रत के भाव ने इनको अंधा बना दिया है। देश का हित-अहित इनकी नज़रों से ओझल हो गया है. इसलिए ऐसे कदम का जो न सिर्फ़ हमारी संवैधानिक स्थापनाओं के विपरीत है बल्कि देश की अखंडता को भी जोखिम में डालने वाला है?
*बुघवार मल्टीमीडिया न्यूज नेटवर्क
पटना/ भोपाल/ रायपुर।दिनांक 7दिसम्बर2019.