मंडल की दवे पांव वापसी से भाजपा में हडकम्प

मंडल की दवे पांव वापसी से भाजपा में हडकम्प
             कृष्ण देव सिंह
 रायपुर।दिनांक17अगस्त2019. पिछले दिनों मध्य प्रदेश के वरिष्ठतम् जाने माने पिछड़े वर्ग के नेता सांसद राजमणि पटेल से अचानक सर्किट हाउस रायपुर में मुलाकात हो गई। उनसे मेरा परिचय तीन दशक से अधिक समय से हैं। उन्होंने ही मेरा परिचय स्व श्री रामजी महाजन पूर्व मंत्री तथा तत्कालीन विधायक व महाजन आयोग के सदस्य वैजनाथ चन्द्राकर जी से कराया था । इनके अतिरिक्त महासुन्द के जाने माने समाजवादी और किसान नेता स्व० श्री श्री जिवनलाल साव जी के सम्पर्को के करण कालेलकर आयोग , मंडल आयोग तथा महाजन आयोग को गहराई से जानने और समक्षने का अवसर मिला। श्री पटेल के अचानक रायपुर आगमन महज संयोग हो  सकता है लेकिन मेरा मन उनसे वगैर पुछे नही माना । पुछने पर लगभग क्षिडकते हुए मुक्षसे बोले कि वे अभी = अभी मुख्यमंत्री के बाद उनके पिता दाऊ नन्द कुमार वघेल जी मिलकर आ रहे है। दोनों से अच्छी चर्चा हुई है तथा मुख्यमंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27% आरक्षण लागू करने जा रहे है। सच कहता हूँ मेरा आच्चर्य का ठिकाना नही रहा । मैं वर्षो राजनीति के चाणक्य स्व दाऊ साहब श्री अर्जुन सिंह जी के सानिध्य मे रहकर उनकी तथा उनके समथर्को की कार्य पद्यति देखा है। मेरा मन बार बार कह रहा था. कि दाऊ भूपेश बघेल अब मंडल की भी चादर कांग्रेस को ओड़ाने जा रहे है। मन हुआ कि कैविनट के किसी पुराने मित्र से सम्पर्क कर ३सपर टटोलू लेकिन उचित नहीं समक्षा | और पन्द्रह अगस्त के शुभ अवसर. पर छ्त्तीसगढ़ की राज्य सरकार के मुखिया भुपेश बघेल ने वो कर दिखाया जो सिर्फ एक किसान व माटी पुत्र ही कर सकता था । उन्होंने अनुसूचित जाति को 13%, अन्य पिछड़ा वर्ग को27% तथा अनुसूचित जनजाति के लिए32%शिक्षण संस्थानों तथा शासकीय नौकरी में आरक्षण लागू करने का साहसिक और दुरगामी परिणाम देने वाला कदम उठा ही लिया ।
                          छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजा और अन्य पिछड़ा वर्ग  को 72 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की घोषणा की। अभी तक तीनों वगोर् को मिलाकर 58 फीसद आरक्षण दिया जा रहा था। सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ा कर बढ़ा सियासी दांव खेला है। गौरतलब है कि राज्य में चार महीने बाद निकाय चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में लगे झटके को देखते हुए कांग्रेस और पार्टी की सरकार स्थानीय निकाय चुनाव में कोई रिस्क लेना नहीं चाहती।आरक्षण बढ़ाने की घोषणा का एक तरफ स्वागत न केवल चौतरफा . हुआ वाल्कि अनुगुज. राष्ट्रीय. राजनीति में भी सुनाई देने लगा. है। इसके 50 फीसद की निर्धारित सीमा लांघने की चिंता भी बढ़ गई है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की गई घोषणा से राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 72 पहुंच गया है। राज्य में अभी तक एसटी को 32 फीसदी, एससी को 12 और ओबीसी वर्ग को 14 फीसद आरक्षण मिल रहा था। सरकार ने इसे बढ़ाकर क्रमशः 32, 13 और 27 करने का फैसला किया है। पिछली बार आरक्षण में किए गए बदलाव को कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
       ..    .सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला तत्कालीन भाजपा सरकार ने करीब सात वर्ष पहले आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए 18 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत लोक सेवा (अजा, अजजा एवं पिछड़ा वर्ग का आरक्षण) अधिनियम 1994 की धारा चार में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार अनुसूचित जनजाति को 32, अनुसूचित जाति को 12 और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 फीसद आरक्षण देना तय किया गया था।कुल आरक्षण 58 फीसद होता है। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 फीसद की सीमा से अधिक है। इसके खिलाफ 2012 में ही गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी रायपुर, सतनाम सेवा संघ रायपुर, पीआर खुंटे समेत अन्य ने याचिकाएं लगाई थीं। याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को सुनवाई के लिए हस्तांतरित कर दिया था। हाई कोर्ट में सुनवाई लंबित है।
      राजनीतिक. दृष्टि से देखे तो हिन्दी पट्टी मंराजस्थान ,मध्य प्रदेश तभा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। मध्य प्रदेश में अन्य पिछडे वर्ग को.27% आरक्षण देने का निर्णय कमलनाथ सरकार ने पहले ही किया लेकिन वह अभी तक लागू नही हो सका है। श्री नाथ की घोषणा को राजनीतिक हल्कों में हल्केपन से लिया गया क्योंकि उनकी व्यापारिक छवि है। लेकिन श्री बघेल के निर्णय की प्रतिक्रिया न केवल बिहार, उत्तर प्रदेश में हुई है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर हुई । कांग्रेस की दोनों सरकारों द्वारा मंडल आयोग को लागू करने से भाजपा में विशेष रूप से हडकम्प मचा है क्योंकि उन्हें डर सताने लगा है कि श्री बघेल के नक्से कदम पर चलकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कहीं मंडल आयोग को पुरी तरह लागू करने की घोषणा न कर दें। श्री कुमार पर दवाव भी बड़ गया है क्योंकि जदयू के पूर्व अध्यक्ष व अब राजद नेता शरद यादव ने भुपेश वधेल की जबरदस्त तारीफ कर दी है।
      छत्तीसगढ़ में मंडल आयोग को लागू करने के निर्णय के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक कार्यकत्ताओं. द्वारा जनसंख्या के अनुसार आरक्षण देने तथा क्रीमी लेयर की क्राइटेरिया को हटवाने की कोशिश करनी भी शुरू कर दिया है। क्योंकि यह क्राइटेरिया ओबीसी समाज के लिए विभाजनकारी है,समाज को दो फाड़ कर दिया है.यह सामान्य वर्ग के कब्जे वाले न्याय तंत्र का ओबीसी समाज को विभाजित कर कमजोर करने का न्यायिक षड्यंत्र है.यहाँ तक कि एक भाई क्रीमीलेयर हो गया है और एक भाई नॉन क्रीमीलेयर.ओबीसी समाज के अनेक घर परिवार विभाजित हो गए है और मनभेद हो गया है.जबकि आरक्षण समाज का सेवाओं में प्रतिनिधित्व का उपाय है इसके लिए समाज का केवल सदस्य होना ही पर्याप्त होना चाहिए। 
          खैरअन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के लिए शिक्षण संस्थानों तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का कोटा बढ़ाने का साहसिक कदम उठाने के लिए छत्तीसगढ़ के  मुख्यमंत्री को मैं व्यक्तिगत स्प से भी   धन्यवाद। क्योंकि मेरा मानना है कि यह राज्य में वंचित वर्ग के कल्याण की दिशा में एक सराहनीय कदम है। (बुधवार समाचार)