कांग्रेस के एकमात्र सर्वमान्य नेता हैं राहुल गॉधी
कृष्ण देव सिंह
भारत की सामाजिक,राजनीतिक तथा सांस्कृतिक जिवन में त्याग,तपस्या और बलिदान का सर्वाघिक महत्व रहा है।मुल्यों ,आदर्शो तथा सिद्यान्तों का सिद्धत से आत्मशात करने वाले पूजित हुए हैं ।हलांकि आजादी के 70वर्षों में उनमें जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है लेकिन आज भी न केवल काग्रेस में बल्कि देश की सम्पूर्ण राजनीतिक परिदृथ्य में राहुल गाँधी अपने आप में एक मात्र राजनेता दिरव रहे हैं जिनमें आस्था और विश्वास ररवने वालों की कमी नही है ।अंपनी पार्टी में तो निर्विवाद रूंप से सर्वस्वीकृत नेतृत्व के वे घनी हैं तथा सिद्ध हो गया है कि कांग्रेस के पास राहुल गाँधी से उपयुक्त और वेहतर कोई दुसरा विकल्प नही है।
दिल्ली की बिधानसभा चुनाव के वाद पुनःकांग्रेस के नये अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है।पार्टी संविधान के अनुसार अप्रेल माह में अंतरिमअध्यक्ष सोनिया गाँधी जी का कार्यकाल समाप्त हो जावेगा।पार्टी का नेतृत्व कौन करे तथावर्तमान हालातों में कांग्रेस की दिशा क्या और कैसी हो उसपर गंभीर चिंतन/ मनन कर निर्णय लेने का बक्त है क्योंकि अब काग्रेस के पास विकल्पों में तेजी से कमी आ रही है ।लेकिन दुखद यही है कि पार्टी के वर्तमान हालातों के लिए जिम्मेदार गणेश परिक्रमा में निपून शहद भाषी अमरवेलों को निजात पाये बिना कांग्रेस की वापसी के आसारों में कमी दिखती है क्योंकि 70बर्षो में देश की राजनैतिक,सामाजिक ,सास्कृतिक,आर्थिक तभा प्रशासनिक हालातों में जबरदस्त बदलाव आ चुका और अब चमत्कारों का युग भी नही रह गया है क्योंकि राजनैतिक सफलता प्राप्त करने के लिए स्थापित तमाम उत्तम मापदण्डों मेंभी भारी गिरावट आ गई है।और ऐसी हालातों से जुक्षने तथा उससे कांग्रेस पार्टी को वाहर निकालने की क्षमता और योग्यता रखने वालों में सर्वाघिक उपयुक्त राहुल गाँघी ही हैं।राहुल गांधी को वर्ष2017में सर्वसम्मति से कांग्रेस अध्यक्ष I ल'Iिए निर्वाचित किया गया था लेकिन 2019 के आम चुनावों में मिली पराजय को लेकर पुरे देश में विभिन्न माध्यमों का सहारा लेकर उनके नेतृत्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने का षडयंत्र किया गया तभा तरह - तरह का किन्तु परन्तु लगाये गये, तब उन्हांने अध्यक्ष पद से मुक्त होना ही उचित समक्षा।उन्होंने चुनाव हारने की जिम्मेदारी लेते हुए मई माह में स्तीफा दे दिया।
राहुल गांधी के इंस्तीफे के वाद कांग्रेस कार्यसमीतिने पिछले वर्ष सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष नियूक्त किया था।एक राजनीतिक दल और विशेषकर राष्ट्रीय पार्टी के लिएं खबसे जरूरी यही है कि काश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा मिजोरम से पोरबन्दर तक स्वीकार किये जाने वाला नेतृत्व हों और इसके लिए सभी कारकों पर गंभीरता से मंथन किया जाना चाहिए।पार्टी का नेतृत्व किसे और क्यों सौपना है,यह पूर्णतः उस दल का आंतरिक मामला हैं तथा किसी भी बाहरी व्यक्ति को उसमें दरवल देने का कोईआधिकार नहीं है।अतः पार्टी और विशेष रूप से दल के अन्दर संविधान के द्वारा प्रदत आघिकारो का उपयोग करने के पात्र व्याक्तियों के विवेक पर निर्भर है कि वह अपना नेता किसे चुनता है। कांग्रेस के अन्दर शशि थरूर,संदिप दिक्षित जैसे कुछ बहुचर्चित नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष व कार्यसमीति सदस्य का चुनाव कराने की मांग की है लेकिन पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेबाला ने यह कहकर उनलोगों की बोलती वंद कर दी है कि जो सीsब्लूसी की बात कर रहे हैं उन्हें उस स्वीकृत प्रस्ताव को पढ़ना चाहिए,जिसने सोनिया गांघी को अंतरिम अध्यक्ष नियूक्त किया है।महाराष्ट्र के दिग्गज नेता संजय निरूपम ने तो साफ _ साफ शब्दों में कह् दिया है कि राहुल गांधी एक मात्र नेता है जो पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं और इसे बचा सकते हैं ।अन्य नेता महज किसी समुह के नेता हैं और ऐसे नेता केवल गुटवाजी को बढ़ावा देते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष होते तो विभिन्न राज्यों में विशेषकर हरियाणा और महाराब्ट्र में चुनाव परिणाम बेहतर हो सकते थे। गौरतलव है कि अंतरिम अध्यक्ष सोंनिया गांधी इस समय स्वास्थ संबंधी समस्याओं से जूक्ष रही है। ऐसी हालात में उनका पद पर बने रहना थोड़ा मुश्किल दिख रहा है तथा कांग्रेस पार्टी के पास राहुल गांधी के अतिरिक्त कोई दुसरा सर्वस्वीकृत व सर्वमान्यकोई दुसरा चेहरा नही है। इसलिए राहुल गांधी को पुनः नेतृत्व सौपा जाना चाहिए और पार्टी को जनता के मुददों पर सडक से लेकर संसद तक नये जोश और सोच के साथ संघर्ष पथ पर अग़सर होना ही चाहिए।
*बुघवार बहुमाध्यम तंत्र
कांग्रेस के एकमात्र सर्वमान्य नेता हैं राहुल गॉधी