कांग्रेस समन्वय समिति व कमलनाथ  की भक्तिभाव से भाजपा में बेचैनी

कांग्रेस समन्वय समिति व कमलनाथ 
की भक्तिभाव से भाजपा में बेचैनी
              कृब्णदेव सिंह
     भोपाल।मध्यप्रदेश की राजनीति में कांग्रेस पार्टी में समन्यवय समीति व वचनपत्र समीति का गठन तथा मुख्यमंत्री कमलनाथ के हृदय में उपजे भक्तिभाव से भाजपा सहित विपक्षी दलों में वेचौनी महसुस की जा रही है। तो सत्ताघारी दल में यू तो सब कुछ ठीक-ठाक दिख रहा है लेकिन प्रदे१ा के आदिवासी,दलित,अन्य पिछडा वर्ग तथा विन्ध्य प्रदेश को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने को लेकर अन्दर खाने कुलबुलाहट भी देखा जा रहा है,जो कांग्रेस के लिए जमीनी तौर पर नुकसानदायक भी सिद्ध हो सकता है। अब अन्दरखाने पनपने लगे इस तरह की चर्चा पर पूर्णविराम लगाने की जिम्मेदारी प्रमुख रन्प से मुख्यमंत्री और प्रभारी महार्साचव की बनती है।
                         कांग्रेस शासित राज्यों के लिए कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने सत्ता व संगठन में तालमेल बिठाने तथा वचनपत्र में दिए गए वायदों को पूरा करने के लिए दो समितियों का गठन किया है। वचनपत्र समिति यह सुनिश्‍चित करेगी कि विधानसभा चुनाव पूर्व मतदाताओं से कांग्रेस ने जो वायदे किए थे उनमें से कितने पूरे हुए ।सत्ता व संगठन में तालमेल के लिए समन्वय समिति का भी गठन किया गया। कांग्रेस नेतृत्व गंभीर नजर आ रहा है कि उन वायदों को पूरा किया जाए जिनके सहारे वह सत्ता में आई  तथा सत्ता और संगठन में  तालमेल भी बना रहे ।हलांकि सवाल यही है कि समन्वय समिति कारगर होगी या नये असंतोष का कारण बनेगी? विशेषकर कांग्रेस में विन्ध्य क्षेत्र के वरिष्ठ नेता  व पूर्व मुख्यमंत्री दाऊ साहेव कुं अर्जून सिंह के पुत्र अजय सिंह और र्वारष्ठ आदिवासी नेता व पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री कांतिलाल भूरिया को उचित जगह नहीं मिल पाने के कारण सवाल मौजूद है। 
       मध्यप्रदेश में कांग्रेस गुटों व धड़ों में बंटी है और यदि कोई यह कहता है कि कांग्रेस में गुटबंदी नहीं है तो वह हकीकत को छिपाता है। अजयसिंह और कांतिलाल भूरिया यदि समिति में होते तो उनके समर्थकों को यह भरोसा होता कि हमारी बात वे संगठन तक पहुंचायेंगे और उनके हितों की रक्षा करेंगे। जहां तक किसी भी नेता के समर्थकों का सवाल है उन पर उनका नेता ज्यादा अच्छे से नियंत्रण रख सकता है।इस दृष्टि से समन्वय समिति में यही एक बड़ी कमी रह गयी है।  यही कारण है कि कांग्रेस में पनप रहे असंतोष को दूर करना समन्वय समिति के लिए चुनौतीपूर्ण है।
        समन्वय समिति बनाते समय  इस बात की  सतर्कता नहीं बरती गई कि इसमें दलितों, आदिवासियों के साथ ही अन्य पिछड़े वर्ग में सर्वाघिक जनसंख्या व प्रभाववाले  जातिवर्ग के उन नेताओं का समावेश किया जाए जिनकी जातिगत आवादी ब प़भाव पुरे प्रदेश में हैं। यदि इस बात का ध्यान रखा जाता तो मध्यप्रदेश के राजनीतिक परिवेश के अनुरुप समिति अधिक कारगर होती। दलित और आदिवासियों और अन्य पिछडा वर्ग ने  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का भरपूर समर्थन किया, जिनके बल पर ही कांग्रेस स्वयं को पदारुढ़ कर सकी। 
          वचनपत्र क्रियान्वयन समिति की जिम्मेदारी पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को सौंपी गयी है जिसमें गुजरात के अर्जुन मोडवाडिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ व प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया शामिल किए गए हैं। समन्वय समिति का अध्यक्ष दीपक बाबरिया को बनाया गया है जबकि इसके सदस्यों में मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी और मीनाक्षी नटराजन शामिल हैं। अजयसिंह दो बार मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहने के साथ प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और प्रदेश सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के काबीना मंत्री रह चुके हैं, वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुनसिंह के पुत्र हैं और विरासत में ही उन्हें एक बड़े गुट का अगुआ होने का अवसर मिला है। पूरे प्रदेश में उनके समर्थक हैं। कांतिलाल भूरिया वरिष्ठ आदिवासी नेता होने के साथ ही केन्द्र सरकार व राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। दलितों व आदिवासियों  में से किसी न किसी को समिति में लिया जा सकता था।अन्य पिछड़ा वर्ग के मामले में भी काग्रेस उन्हीं गलतियों को दुहरा रही है जो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था । वे अपने कार्यकाल में श्री यादव के अतिरिक्त अन्य पिछड़े वर्ग के उन नेताओं को अपने पुरे कार्यकाल में महत्व देते रहे जिनका न तो व्यक्तिगत जनाघार था और न ही प्रदेश के आघिकांश हिस्सों में उनकी जातिगत आवादी थी ।ऐसी स्थिति में इन वर्गों में  संदेश जा सकता था कि हमारे वर्ग को कांग्रेस की बड़ी समिति में जगह मिली है। वैसे दोनों ही समितियों में एक-एक सदस्य आगे  बढ़ जायेगा जब मुख्यमंत्री कमलनाथ की जगह कोई नया प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल लेगा।
        वचनपत्र के वायदों के क्रियान्वयन का सवाल है इसका प्रभारी पृथ्वीराज चव्हाण को बनाकर एक तीर से दो निशाने साधने की कांग्रेस ने कोशिश की है। महाराष्ट्र की राजनीति में उस सरकार में उन्हें कोई जगह नहीं मिल पाई जो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी है।  उन्हें महाराष्ट्र के बाद एक ऐसे बड़े राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गयी है जो कांग्रेस शासित राज्यों में सबसे बड़ा एवं अहम् प्रदेश है। अर्जुन मोडवाडिया भी गुजरात के अनुभवी राजनेता हैं और दोनों की मौजूदगी से यह समिति कारगर हो सकती है ।जहां तक वचनपत्र के क्रियान्वयन का सवाल है इसके लिए कमलनाथ पूरी राजनीतिक प्रतिबद्धता से आगे बढ़ रहे हैं ।
                       भाजपा में बेचैनी
          सत्ता की बागडोर संभालते ही जिस प्रकार से मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा  ऐसे मुद्दे जो हिन्दुओं की आस्था से जुड़े हैं उन पर पूरी संजीदगी से अमल करने के कारण भगवाई राजनीतिज्ञों और पार्टी में बेचैनी नजर आने लगी है। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने राज्य सरकार द्वारा सनातन संस्कृति पर काम प्रारम्भ करने की तारीफ करते हुए कहा किहनुमान चालीसा को विश्‍व स्तर पर प्रचारित करना उन्हें पंसद है  तो दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने एक बयान भी दे डाला।  कमलनाथ का भक्तिभाव और श्रद्धा जिस ढंग से सामने आ रही है उसके चलते भाजपा की भगवा राजनीति पर भारी पड़ता नजर आ रहा है । यही कारण है कि भाजपा में अब इसको लेकर कुछ बेचैनी नजर आने लगी है।
          श्री टंडन ने राजभवन में मीडिया से अनौपचारिक चर्चा करते हुए कहा कि कमलनाथ ने श्रीलंका में सीता माता मंदिर, चित्रकूट का विकास, ‘राम वन गमन पथ’ का विकास और हनुमान चालीसा को विश्‍व स्तर पर प्रचारित किया है। हलांकि उन्होंने कमलनाथ की इस कार्यशैली को पसंद किया तो वहीं इशारों ही इशारों में यह कहते हुए चेताया भी कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध हो लेकिन संविधान की लक्ष्मण रेखा की मर्यादा के भीतर। यदि मर्यादा से हटकर काम होगा तो संविधान ने मुझे भी कुछ अधिकार दिए हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि राज्य में किस दल की सरकार है इससे मुझे मतलब नहीं। सरकार ठीक से काम करे इसमें मेरा सहयोग रहेगा। इस प्रकार राज्यपाल ने एक चतुर राजनीतिज्ञ होने का परिचय देते हुए सरकार को इशारों-इशारों में ही बहुत कुछ समझा दिया।
          जहां तक कमलनाथजी का सवाल है वे स्वयं  हनुमान भक्त हैं।  उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा जो कि उनका विधानसभा क्षेत्र भी है से पन्द्रह किमी दूर सिमरिया में 101 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा की स्थापना कराई ।वहीं इंदौर के पास सनवदिया में राम मंदिर के निर्माण का काम आरंभ हो गया है। एक करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस मंदिर में स्थानीय लोगों के अलावा सरकार का आध्यात्म विभाग भी सहयोग करेगा। कमलनाथ ने गांधी पुण्यतिथि के मौके पर हनुमान चालीसा का सवा करोड़ बार जाप का आयोजन करने के बाद उसके दूसरे दिन अनूपपुर जिले के अमरकंटक में नर्मदा महोत्सव में शिरकत कर धर्मप्रेमी जनता का एक प्रकार से मन मोह ली। इस मौके पर उन्होंने अपनी सरकार के नजरिए को रेखांकित करते हुए कहा कि दिल जोड़ने की संस्कृति को समृद्ध बनाने के साथ ही नई सोच और व्यवस्था में परिवर्तन कर हम मध्यप्रदेश को नई पहचान देंग। देश के हृदय प्रदेश में विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है, मालवा, निमाड़, महाकौशल, विध्य क्षेत्र की अलग-अलग संस्कृतियों में आपसी सद्भाव, भाईचारा और प्रेम की भावना मजबूत है और यही विशेषता हमारे देश की भी है।। पहली बार अमरकंटक में हुए नर्मदा महोत्सव को निरन्तर आगे भी जारी रखा जाएगा और इसे एक पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जायेगा।इस महोत्सव में पूरे विधि-विधान से आस्था व श्रद्धा के साथ नर्मदा परिक्रमा करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे।
               श्रीलंका में सीता मंदिर और ‘राम वन गमन पथ’ के काम को जिस गंभीरता से कमलनाथ जी ने हाथों में लिया है उससे दो निशाने साधे गए हैं। उन्होंने अपनी सरकार की आस्था प्रदर्शित की है और दूसरी ओर यह बा भी साफ हो गयी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में बनी  दोनों योजनाओं पर कोई विशेष काम नहीं हो पाया था। 2010 में श्रीलंका में सीता माता मंदिर बनाने के प्रयास हुए थे और इस पर 14 करोड़ रुपये खर्च करना अनुमानित था, 2013 में बेंगलूरु की एक कम्पनी से इसका डिजायन तैयार कराया गया लेकिन इसके बाद इस पर अमल नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री कमलनाथ की महाबोधि सोसायटी के अध्यक्ष बनागला उपतिसा के साथ हुई मुलाकात के बाद इसका मार्ग प्रशस्त हुआ और सरकार ने इसके लिए फंड देने का ऐलान करते हुए कहा कि मार्च तक धन उपलब्ध करा दिया जायेगा और अतिशीघ्र मंदिर की डिजायन को अंतिम रुप दिया जायेगा। मंदिर निर्माण के लिए मध्यप्रदेश व श्रीलंका के अधिकारियों की एक समिति बनाई जायेगी जिसमें महाबोधि सोसायटी के सदस्य भी शामिल होंगे। यह समिति निर्माण कार्य की निगरानी करेगी। उदार हिन्दुत्व की दिशा में आगे बढ़ रही कांग्रेस सरकार ने ‘राम वन गमन पथ’का अपना चुनावी घोषणापत्र का वचन पूरा करने के लिए एक नया फार्मूला ईजाद कर लिया है, इसके लिए ट्रस्ट का गठन किया जायेगा। इस पथ के दोनों सिरों से एकसाथ निर्माण कार्य आरंभ होगा। पहले चरण में दोनों ओर से तीस-तीस किमी का निर्माण होगा। इस संबंध में एक समीक्षा बैठक में कमलनाथ ने कहा कि इसके निर्माण के लिए 22 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और अगले वर्ष भी राशि का पर्याप्त प्रावधान किया जायेगा। जनसंपर्क, विधि विधायी कार्य व अध्यात्म मंत्री पी.सी. शर्मा ने पूरे प्रोजेक्ट की रिपोर्ट सामने रखी है। ट्रस्ट में साधु-संतों व जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। भगवान राम के प्रति आस्था रखने वालों से आर्थिक सहयोग भी लिया जायेगा।
*बुधवार मल्टीमीडिया नेटवर्क