मोदी जी का विकल्प बने राहुल गॉधी

मोदी जी का विकल्प बने राहुल गॉधी 
        कृष्ण देव (केड़ी) सिंह
           कोरोना-19 नामक विश्वव्यापी महामारी ने दुनिया में और विशेष कर भारत की राजनैतिक ,आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में भारी हलचल मचा रखा है।कहना मुश्किल है कि उसके असर और किस - किस स्प में प्रकट होगा ।लेकिन यह निर्विवाद सत्य स्प में प्रकट हो गया है कांग्रेस के पुर्व अध्यक्ष राहुल गांघी भारतीय राजनीति के सबसे चमकदार और संवेदनशील राजनीतिज्ञ के स्पमें स्थापित हो चुके है।और उन्हें देश की जनता प्रघानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विकल्प के स्प में विशेषकर गरीब व मजलूम स्वीकार करने लगे है। श्री गाँधी की बढ़ती लोकप्रियता से सत्ताघारियों को विचालित होने का क्रम भी शुरु हो चुका है।
            भाजपा के नेता अक्सर / वात -वातपर कहते रहतेहैं कि  राहुल गांधी राजनीति कर रहे है। क्यों न करें, वह वही तो समेट रहे हैं जो सरकार ने फैलाया है। मैं तो राहुल गांधी के मजदूरों से मिलने को विल्कूल सही मानता हूँ। तब भी नहीं यदि वे सिर्फ राजनीति करने के लिए ही उनसे मिले हों। नेता हैं, विपक्ष में हैं, क्यों राजनीति न करें। सरकार की असफलता का तो उन्हें  लाभ मिलेगा ही न।उनसे पहले तो केंद्रीय मंत्री या सांसदों को मजदूरों तक पहुंचना था, लेकिन वे मद में चूर हैं। तभी तो राहुल जी को अवसर मिला। सरकार फेल न हो तो विपक्ष को अवसर कैसे मिलेगा? विपक्ष को अवसर मिल रहा है मतलब सरकार फेल है। 
   .राहुल एकदम सही हैं। कांग्रेस अगर इस अवसर का उपयोग  कर रही है तो दिक्कत क्या है? मोदी ही कहे हैं कि आपदा अवसर है। अब सत्ता पक्ष के नेताओं के नाकारेपन का किसीको तो लाभ मिलेगा ही! फिर ऐसा क्यों चाहते हैं कि विपक्ष केवल सत्ता के कामों पर सहमति ही दिखाए? राहुल सकारात्मक विपक्ष की भूमिका में ह्रै तो जनता उनकी अगर वलेया लेने लगें तो मिर्च नही लगनी चाहिए।कोरोना के नाम जो कुछ हो चुका है और जो हो रहा है,उसकी कैसी प्रतिकिया देश की जनता देगी,इसकी क्षलक भी अभी देखने / सुनने को नहीं मिल रही है।   राहुल जी के सड़क पर निकलने पर रोष दिखाने वाले बताएं पिछले दो महीने में कितने केंद्रीय मंत्री सड़कों पर दिखे? कितने सत्ता पक्ष के सांसद मैदान में दिखे! आप कुछ करेंगे और दूसरे को कहने भी न देंगे? 
     राहुल गांधी पप्पू हैं।  हां  लेकिन आपसे कई गुना इंसानियत में बेहतर हैं। वो साफ सुथरी राजनीति करते हैं। आधा क्षुठ औरआघा सच वाला  भाषण देना वो नहीं जानते.लेकिन जितना बोलते.है सच बोलते है। जितना कहते हैं वो करता हैं। क्षुठे सपने नही दिखाते हैं।जिसे खानदानी कुर्सी मिलते अाई वह उसका नसीब हैं जिसे भगवान ने उसे उस परिवार में जन्म देकर बनाया। लेकिन जब 2009 में उसे प्रधान मंत्री बनाने के लिए पार्टी ने तैयार था तब उन्होंने उस पद को ठुकरा दिया। आज किसी को एक नौकरी मिल जाए तो नहीं ठुकराता वह राहुल जी ही है जो प्रधानमंत्री की कुर्सी ठुकरा दी।अपनी सरकार में ही अपने सरकार के लाए अपराधियों को राजनीति में संरक्षण देने वाली बिल के खिलाफ खड़े हो गये और मनमोहन सिंह के फैसले से मानने से इंकार कर दिया। बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस बिल को फ़ाड़ कर फेंक दिया। जिसका नतीजा ये निकला की कोई भी वैसे नेता तब तक मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री नहीं बन सकता जब तक उसके सिर से आरोप कोर्ट से ख़तम नहीं कर देता। उदहारण लालू यादव सामने हैं। वरना आज के नेता तो अपनी सरकार के खिलाफ चू भी नहीं बोल पाते।
    वह राहुल जी ही हैं जिसका परिवार इस देश के लिए कई कुर्बानियां दी है। अपनी जान देकर। फिर भी उन्होंने  कभी इसका रोना रोकर लोगों से वोट नहीं मांगा। वरना आज के लोग तो माँ उसकी झाड़ू पोछा लगाती ये कहकर माँ की बेइजत्ती भी करता है और वोट भी मांगता हैं। वह राहुल जी ही हैं। जिसका परिवार पिछले तीस साल में कई बार सत्ता में आया लेकिन उसके घर से कोई भी एक मंत्री तक नहीं बना। वह राहुल जी ही हैं जिसके खुद की सरकार में उसके खिलाफ और उनके परिवार के खिलाफ केस दर्ज हुआ। चाहे वह नेशनल हेराल्ड हो या अन्य घोटाले लेकिन कभी उसने अपने ऊपर लगे आरोप या हुए उसके खिलाफ दर्ज हुए एफआईआर को  ख़तम नहीं करवाया बल्कि आजतक कोर्ट जाकर अपनी नागरिकता का सही मतलब समझा रह्रैं है। वरना आज के लोग तो अपने ऊपर लगे आरोप को ख़तम करने के लिए जज तक को मरवा देते हैं?
  वो राहुलजी ही हैं जिसकी माँ एक विदेशी मूल की हैं लेकिन उसकी मां का सिर हमेशा साड़ी के आंचल ढका रहता है जो एक भारतीय नारी कि मर्यादा संस्कृति है। पति के चले जाने के बाद भी वह इस देश में रही। अपनी जान दाव पर लगाकर इस देश के लिए फिर से पार्टी को खड़ा किया। देश को जनता को समझाया और लगातार एक के बाद एक कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनावा दी।काग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार में किसानों के 72,000 करोड़ का कर्ज माफ कर दिया। लोगों को एक पहचान दी आधार कार्ड के तौर पर लेकिन कभी उसने कहा नहीं। वो राहुल जी ही हैं जिसकी पार्टी की सरकार ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। पाकिस्तान के 93,000 आर्मी को बंधक बनाया. लेकिन कभी वे इसका श्रेय नहीं लिया।  सरकार ने पंजाब को खालिस्तान बनने नहीं दिया। और उस वजह से इंदिरा गांधी को अपनी जान देनी पड़ी। लेकिन कभी दादी के मौत का रोना रोकर राहुलज़ी.ने वोट नहीं मांगा। हां वह राहुल जी ही है,जिनके पिता ने घर घर तक कंप्यूटर, टीवी मोबाइल डिजिटल बनाने की दशा में लाया ब लोगों तक पहुंचाया। लेकिन राहुल जी ने कभी इसका श्रेय नहीं लिया। 
    हां राहुल गांधी शाहजादा है, पप्पू हैं जिसकी सरकार ने आज़ादी के समय जिस देश में सुई नहीं बनती थी उस देश एक विकसित देश बनाया। गाव गांव शहर शहर गली गली टोले टोले घर घर तक बिजली पहुंचाया। हां ये बात है कि 18,000 फिर भी गांव बच गए थे ।लेकिन देश में सिर्फ १८,००० ही गांव नहीं है। सात लाख से अधिक गांव हैं जहां कांग्रेस की सरकार ने बिजली पहुंचाया लेकिन कभी १८,००० वाले के तरह नगांड़ा नहीं पीटा। 
   हां वह राहुल जी ही हैं जिसने जनवरी और फरवरी में ही कोरोना को लेकर सरकार को कहा था को ये बहुत भयानक वायरस होगा ,इससे बचने के लिए उपाय करिए। आज फिर उस पप्पू ने लोगो का दिल जीत लिया। तस्वीर दिल्ली कि जहां बिहार के मजदूर भूखे प्यासे घर जाने के लिए सड़क पर बैठे थे। उससे वे मिले। सरकार को उसकी मजबूरी बताया ,सरकार नहीं सुना ।उस राहुल जी ने फिर पार्टी फंड के पैसे से उस मजदूरों को टैक्सी में बिठाया और बिहार वापस सम्मान के साथ भेजा। वरना सरकार तो मरने के लिए मजदूरों को छोड़ दिया। हां साहब वह पप्पू ही हैं। जिसके बाप दादा प्रधानमंत्री ही बनते आए है। चाहता तो राहुल जी भी राजनीति की जिंदगी छोड़ कर किसी  भी देश में एक सहजदा की जिंदगी बीता सकता था। लेकिन वो तो राहुल गाँधी.हैं जिसका परिवार हर बार जान देकर देश को आगे बढ़ाया ।।जय हिन्द॥
*स्ट्राइकर