अपराघ जगत का सरताज बना उत्तर प्रदेश

अपराघ जगत का सरताज बना उत्तर प्रदेश
कृष्ण देव सिंह
मेरे मन में उत्तरप्रदेश व पश्चिम बंगाल के वारे में हमेशा अच्छी धारणा रही है। बचपन से ही दोनों प्रदेशों की धार्मिक तथा आध्यात्मिक महत्व को लेकर आदरभाव रहा है। शायद इसकी सबसे बड़ी वजह भिलाई तभा रायपुर में मेरे सम्पर्क में आने वाले वे सभी लोग हैं जो छत्तीसगढ़ तथा बिहार के बारे में बहुत ही गंदी व स्तरहीन घारणा रखते है तथा अपने - अपने राज्यों और संस्कृति को श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयत्न करते रहते थे। लेकिन किसी न किसी कारण पिछले चार-पांच वर्षो से छत्तीसगढ़ के अलावा उत्तरप्रदेश ,बिहार तथा पाश्चिम वंगाल के दुरस्त अंचलों में जाना पड़ रहा है।  इन राज्यों से जुड़ी खबरों और मेरी प्रत्येक यात्रा सिद्ध करती है कि अपने आपको श्रेष्ठता का दंभ पालने वालों का चेहरे का रंग लगातार फीका पड़ता जा रहा है और अब तो उत्तर प्रदेश पुरे देश में अपराघ जगत का सरताज होने का खिताब पाकर प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका हैा
          पिछले दिनों नेशनल क्रा३म रिकार्ड की अघिकृत आकडे जारी किये गये1 ताजा आकड़ों के अनुसार पिछले दो वर्षों में लगातार अपराघ के हर क्षेत्रों में लगातार वृद्धि हो रही ह्रै और झ्स क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा राज्य अत्तर प्रदेश सबसे आगे ह्रै | एनसीआरबी के अनुसार अकेले उप्र में देश के कुल अपराध का 10.1%अपराघ हुआ है। वर्ष 2016में 2लाख82हजार171मामले तभा वर्ष2017में 3लाख10हजार 84 अपराघ दर्ज किये गये हैा इतना ही नही माहिला अत्याचार में भी 14%है तथा वर्ष2016में49262तथा2017में 56151मामले पंजीकृत किये गये हैा दलित अत्याचार में भी वर्ष2016में 10426 तभा 2017में 11444मामलो के साथ प्रथम स्थान पर हैं । अपहरण के मामलों 20.8% अंक पाकर शिखर पर हैं |वर्ष2016में 20649 तथा2017में छलांग मारकर 40971मामले दर्ज कराने में सफल हुए । हलांकि संतोष की बात यही है कि संगठित अपराध में कमी आई है।
      नेशनल क्राइम रिकार्ड व्यूरो यानी एनसीआरबी देश भर में अपराघ के आकड़ों का ब्योरा रखने वाली संस्था है जो हर वर्ष अपराध से सबंधित आंकड़े जारी करता है।इसकी स्थापना वर्ष1986 में की गई ताकि अपराघ की अपराधियों से जोड़कर खोज की जा सके । यह संस्था देश की गृह मंत्रालय के अधीन कार्यकरता है।३नके आंकडे के अनुसार देश भर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराघों की संख्या में काफ़ी बढोत्तरी हुई है और यह वृद्धि लगभग सभी राज्यों में हुई है।आकड़ों कि अनुसार माहिलाओं के खिलाफ अपराघ के मामले में उत्तरप्रदेश के बाद दुसरे पायदान पर महाराष्ट्र है जहाँ 56011के मुकावले31979मामले दर्ज किए गए । जबकि देश भर मे वर्ष .2015में3,29,243,वर्ष2016में3,38,954तथा वर्ष2017में3,59,849मामले दर्ज किए गये हैं।
  आकडे के अनुसार देश भर में वर्ष2017मेंसंगीन अपराघ के50लारव केस दर्ज हुए जो कि वर्ष2016के मुकावले में3.6%ज्यादा हैा लेकिन हत्या के मामले में 3.6% की कमी आई हैाजबकि अपहरण के मामले में वृद्धि हुई है। आईपीसी के तहत देश भर में कुल30,62,579मामले दर्ज हुए हैं,जबकि2016में यह आकडां 29,75,711था। जहाँ तक सवाल राज्यों का है तो इस मामले में भी उप्र० प्रथम,महाराष्ट्र द्वितीय,मध्यप्रदेश तृतीय फिर केरल,दिल्लीहै ।अपहरण के मामले के 21% उप्र० में दर्ज हैं जबकि महाराष्ट्र दुसरे स्थान पर है व तीसरे स्थान पर बिहार है।माहिलाओं की तरह वच्चों के खिलाफ मामलों में भी देश भर में  वृद्धि हुई है और झ्स ममलों में भी उत्तरप्रदेश सबसे आगे है।
          भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज है जबकि ओडिशा दुसरे स्थान पर हैा आंकड़ों के मुताबिक वर्ष2017में भ्रब्टाचार रोकथाम अधिनियम व संबंघित घाराओं में कुल 4,062मामले दर्ज की गई जिनमें महाराष्ट्र सबसे उपर रहा । कर्नाटक में मामलेतो. कम दर्ज हुए लेकिन बढ़ोत्तरी सबसे ञ्यादा दर्ज की गई 1 कर्ष2016में 25मामलों की तुलना में 2017में यहाँ 289मामले दर्ज हुए । दिलचस्प बात यह भी है कि सिक्कम एकमात्र ऐसा राज्य है जहॉं भ्रष्टाचार के एक भी मामले दर्ज नही हुए। दुसरे स्थान पर मध्यप्रदेश,तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र,चौथे स्थान परदिल्ली और पांचवे स्थान पर छत्तीसगढ़ है।उपरोक्त अधिकृत आकड़े बताती है कि देश भर में उत्तर प्रदेश अपराध जगत का सरताज बन चुका ह्रै जबकि केन्द्र शासित प्रदेशों में झ्स मामले में दिल्ली सबसे अब्बल है। (बुस)