लम्बे संघर्ष के वाद वना अलग छत्तीसगढ़ राज्य

लम्बे संघर्ष के वाद वना अलग छत्तीसगढ़ राज्य
कृष्ण देव सिंह
रायपुर।1 नवंबर साल 2000 को आज ही के दिन इस राज्य का गठन हुआ । साल 1993-94 में मध्यप्रदेश के विधानसभा में तत्कालिन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की की पहल पर मध्यप्रदेश विघान सभा ने सर्वसम्मति से छत्तीसगढ़ अलग राज्य  बनाने का परस्ताव पारित हुआ | सदन के पारित सर्वसम्मति से ३स पारित विधेयक को साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा तथा राज्यसभा से पारित करा कर नया राज्य की स्थापना की। 
   छत्तीसगढ़ राज्य बनाने का सपना सर्वप्रथम डा० खुबचन्द वघेल ने देखा था और राजनांदगॉव की सभा में 1956 में सर्वसम्मति से पारित भी कराया था । श्री वघेल के स्वर्गवास होने के वाद स्व चंदूलाल की ही देन थी कि साल 1993 में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के मैनिफेस्टो में उन्होंने अलग राज्य की मांग को विरोध के बावजूद जुड़वाया ।  घोषणापत्र में कांग्रेस जोड़ा ही नही वाल्कि चुनाव बाद उसकी सरकार बनने के बाद उसे 2/3 बहुमत से विधानसभा में पारित कर दिया। 
      आज हालात बदल गई है,कि हाल ही में बने राज्य तेलंगाना जिसे राष्ट्रपति द्वारा  बनाया गया अलग राज्य है क्योकी कोई भी पार्टी उसे आंध्रप्रदेश के विधानसभा में अलग तेलंगाना राज्य विधेयक बिल को पारित नही करा पाई । तब उसे राज्य के जनता की मांग अनुरूप  राष्ट्रपति द्वारा विशेषाधिकार का प्रयोगकर सीधे नए राज्य की स्थापना की गई। 
    हमारे इस छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बहुतो लोगों ने सघर्ष किया 1जनमानस के इच्छा के अनुरुप चन्द्राकर जी ने उसका नेतृत्व किया और पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना और उसके बैनर तले आंदोलन की शुरुआत की। बहुत से लोग इस राज्य बनाने के खिलाफ थे। लेकिन दाऊ जी ने भगौलिक और राजनीतिक परिस्तिथि केअनुरूप  छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना बेहद जरूरी है।परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ  के सभी  वर्ग के लोगो ने एकजुट होकर आन्दोलन में कुद पड़े और  उसके संघर्ष का परिणाम हैआज का छत्तीसगढ़ राज्य |
    एक बात बताना चाहूंगा स्व चंदूलाल चंद्राकर जी ने सिर्फ स्वप्न नही देखा राज्य का बल्कि उस स्वप्न को साकार करने के लिए जीवन भर कड़ी मेहनत की, संघर्ष किया । उनदिनों जागेश्वर साहु राज्यमंत्रीमंडल के सदस्य थे। मेरा उनके पास आना जाना लगा रहता था '। संयोग बना कि मैं जैसे ही श्री बंगले में प्रवेश किया दाऊजी की कार आकर रुकी '। मेरे आभिवादन पर बोले आओं । दाऊजी । पपीता का सेवन विशेष रूप से करते था । श्री साहु के यह कहने पर कि सिंह साहब  मेरे पास आते रहते है व उनसे विभिन्न विषयों पर चर्चा होती रहती हैा सुनते ही दाऊ जी ने पुछ लिया कि तुम रायपुर के शास्त्री चौक में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग के समर्थन में आयोजित घरना में भाग लेने जा रहे हो न | मैनें भी उतनी ही तपाक से उत्तर दिया ॥जी दाऊजी॥ और फिर भोपाल से घरना में भाग लेने रायपुर आया । उनके व्यक्तित्व का यही पक्ष मुक्षे भाता था ।लेकिन उनके असमय स्वर्गवास ने छत्तीसगढ़ राज्य के निर्णाम में पारिणामकारी संघर्ष का आब्हान करने वाले कालजयी योद्धा को हम सभी से छीन लिया1 स्व० चन्दुलाल चन्द्राकर सहित छत्तीसगढ के निर्माण के लिये संघर्षरत सभी जागरूक राजनैतिक,सामाजिक कथा सांस्कृतिक योद्धाओं को नमन।
बुघवार मल्टीमीडिया नेटवर्क